चीन (China) में अब ओवर ईटिंग (Over Eating) यानी जरूरत से ज्यादा भोजन करना गैर कानूनी होगा. ऐसा करने वालों पर लगभग एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. अगर रेस्टोरेंट्स (Restaurants) इस कानून का उल्लंघन करेंगे तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई होगी. चीन में सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसे वीडियो चर्चा में रहते हैं. जिसमें एक-दूसरे को ओवर ईटिंग (Over Eating) चैलेंज दिया जाता है. एक साथ 10 पिज्जा (Pizza) खाने के वीडियो डाले जाते हैं. लेकिन चीन में जो नया कानून आने वाला है, उसके तहत ऐसे वीडियो को दिखाने और शेयर करने वाले सेलिब्रिटी व टीवी चैनल पर भी कार्रवाई होगी.
चीन में खाने की बर्बादी को रोकने के लिए बने इस कानून के पीछे एक बड़ी वजह है और वो है अनाज का संकट और उसकी कमी. चीन में हर वर्ष साढ़े तीन करोड़ टन खाना बर्बाद हो जाता है. कुल खाद्य उत्पादन का 6 प्रतिशत हिस्सा बर्बाद (Waste) होता है और खाने-पीने के दौरान एक करोड़ 80 लाख टन खाना फेंक दिया जाता है. अनाज संकट के बाद खाने की ये बर्बादी चीन में बड़ा मुद्दा बन गया है.
अनाज के संकट से निपटने के लिए इसी वर्ष अगस्त महीने से चीन में एक अभियान शुरू हुआ था. इसे Operation Empty Plate का नाम दिया गया. इसका मकसद लोगों को रात के समय कम भोजन करने और खाने की बर्बादी को रोकने के लिए जागरूक करना था. लेकिन वहां इस अभियान का भी ज्यादा असर नहीं हुआ है. कुछ दिनों पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि खाने की बर्बादी चौंकाने और परेशान करने वाली है. उनके इस बयान के बाद ही ये संकेत मिलने लगे थे कि चीन इस पर कड़ा कानून ला सकता है.
अब आप आंकड़ों की मदद से चीन के अनाज संकट को समझिए. चीन के कृषि मंत्रालय ने बताया था कि वर्ष 2019 में चीन में कुल 66 करोड़ टन अनाज की पैदावार हुई. हालांकि चीन ने इस वर्ष भारत से 9 करोड़ किलोग्राम चावल आयात किया है और ऐसा 30 वर्षों में पहली बार हुआ है. यानी चीन सीमा पर हमसे लड़ता है पर अपने नागरिकों की भूख मिटाने के लिए वो भारत से ही अनाज खरीदता है.
चीन की आबादी लगभग 143 करोड़ है. लेकिन उसके किसान पर्याप्त अनाज पैदा नहीं कर पाते. इसलिए चीन हर वर्ष करीब 400 करोड़ किलोग्राम चावल का आयात करता है. लेकिन चीन झूठा प्रचार करके अपने देश के अनाज के संकट को छुपाने की कोशिशें भी करता है.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने चीन में इस वर्ष चावल की शानदार फसल होने का दावा किया. लेकिन यहां सवाल ये है कि अगर चीन में चावल की फसल इतनी अच्छी हुई है तो फिर चीन लगातार चावल का आयात क्यों कर रहा है और वो इस तरह के कानून लाने के लिए मजबूर क्यों हुआ? हकीकत ये है कि अनाज के संकट ने चीन की परेशानियां बढ़ा दी हैं और ये बात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अच्छी तरह समझ चुके हैं.
हालांकि अपनी जनता का पेट कैसे भरा जाता है, ये चीन भारत से सीख सकता है. भारत में इस वर्ष 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त में पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम चना दिया गया. ये योजना अप्रैल से नवंबर महीने तक लागू रही. भारत ने अपने नागरिकों का पेट भरने के साथ चीन को भी चावल का निर्यात किया. यानी हमारा देश अपने नागरिकों के साथ चीन के नागरिकों की भी भूख मिटाता है और हम ऐसा करने से पीछे नहीं हटते हैं. लेकिन चीन में ऐसा नहीं है. चीन अपने नागरिकों की चिंता नहीं करता और अब वो अनाज का संकट छुपाने के लिए खाने की बर्बादी को मुद्दा बना रहा है.
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