हमारी असली दुनिया के बाद अब इंटरनेट पर मौजूद वर्चुअल दुनिया में भी भारतीय महिलाओं के साथ डिजिटल भेदभाव हो रहा है. देश की इन करोड़ों महिलाओं को इंटरनेट के इस्तेमाल का अधिकार दिए बिना हमारा समाज आगे नहीं बढ़ सकता है.
ये पक्षपात देश में बिहार जैसे गरीब राज्यों से लेकर महाराष्ट्र और गुजरात जैसे संपन्न राज्यों में एक जैसा है. महाराष्ट्र में औसतन हर 10 में से लगभग 4 महिलाओं और गुजरात में औसतन हर 10 में से 3 महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया.
यानी देश के संपन्न राज्य भी इंटरनेट तक महिलाओं की पहुंच बनाने के मामले में पीछे हैं. ये भी देखा गया है कि जिन राज्यों में महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल कम करती हैं वहां पर उनकी साक्षरता दर भी कम है. यानी अशिक्षा और इंटरनेट के इस्तेमाल के बीच भी सीधा संबंध है.
हमारे देश में महिलाओं की औसत साक्षरता दर 87 प्रतिशत है. हालांकि इस स्टडी के मुताबिक बिहार में महिलाओं की औसत साक्षरता दर सिर्फ 57 प्रतिशत है. इस मामले में बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में एक है. बिहार में औसतन हर 10 में से 8 महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया.
वैसे आज के समय में इंटरनेट से ये दूरी, लगभग अनपढ़ होने के ही बराबर है और देश की इन करोड़ों महिलाओं को इंटरनेट के इस्तेमाल का अधिकार दिए बिना हमारा समाज आगे नहीं बढ़ सकता है. भारत में लगभग 74 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और इस मामले में भारत के लोग, चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं. जब इंटरनेट की शुरुआत हुई थी तो माना गया था कि ये वर्चुअल दुनिया सबको बराबरी का मौका देगी.
यहां महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा. ऐसा कहा जाता है कि भारत के पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को बराबरी का अधिकार नहीं मिला है और हमारी असली दुनिया के बाद अब इंटरनेट पर मौजूद वर्चुअल दुनिया में भी भारतीय महिलाओं के साथ डिजिटल भेदभाव हो रहा है.
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