ब्लैक फंगस का शिकार होने का खतरा उन लोगों में ज्यादा है, जिन्हें COVID-19 इलाज के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया गया हो. साथ ही जो लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहे और ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर पर रहे. ऐसे में अस्पताल में सही तरीके से हाईजीन मेंटेन न होने के कारण कई मरीजों को ब्लैक फंगस हुआ है. साथ ही डायबिटीज के रोगियों को भी इससे खतरा है क्योंकि स्टेरॉयड के कारण उनका शुगर लेवल बढ़ जाता है.
ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है और उन लोगों के कोविड-19 के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग ज्यादा किया है, तो उनमें इस फंगल इंफेक्शन होने का खतरा काफी होता है.
इस बीमारी के आंख तक पहुंचने के शुरुआती लक्षण आंखें लाल होना, आंखों से पानी आना और कंजक्टिवाइटिस होने जैसे लक्षण हैं. बाद में आंखों में दर्द होता है और रोशनी चली जाती है. वैसे इस फंगस से इंफेक्शन होने की शुरुआत नाक से होती है. इसके कारण नाक से ब्राउन या रेड कलर का म्यूकस बाहर निकलता है. फिर यह आंखों में पहुंचता है और इसके बाद इसके ब्रेन, नर्वस सिस्टम तक पहुंचने से मरीज की मौत हो जाती है.
ब्लैक फंगस से बचने के लिए अपने मुंह की अच्छी तरह से सफाई करना बहुत अहम है. ऐसे में COVID ठीक होने के दौरान और बाद में भी दिन में 2-3 बार ब्रश करके और मुंह की सफाई करके इस इंफेक्शन से बचने में मदद मिल सकती है.
COVID-19 की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अपना टूथब्रश बदल लें. ताकि पुराने ब्रश के जरिए फिर से इंफेक्शन न हों. साथ ही नियमित रूप से अपना मुंह धोते रहें.
COVID-19 से उबरे रोगी के लिए यह जरूरी है कि उसका टूथब्रश और टंग क्लीनर साफ रहे. साथ ही उसे अपना ब्रश और टंग क्लीनर दूसरों के टूथब्रश से अलग रखना चाहिए.
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