Gandhi Jayanti 2021: सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने में महती भूमिका निभाई थी. गांधी जी ने आजादी के लिए कई आंदोलन चलाए, जिनके बलबूते पर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. आजादी के संघर्ष के साथ गांधी जी बड़े विचारक व्यक्ति थे. उनके विचारों ने कई लोगों के जीवन को बदल दिया. गांधी के जीवन बहुत साधारण था. वो अपनी सादगी के लिए पूरी दुनियाभर में जाने जाते हैं. महात्मा गांधी के जीवन की झलक दिखाते हुए ये 5 तस्वीरें काफी कुछ बयां करती हैं.
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को पोरबंदर में हुआ था. गांधी जी बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थे. अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में गांधी जी लिखते हैं कि मुझे बचपन में भूतों से बहुत डर लगता था. उस डर को काटने के लिए उन्होंने राम का नाम प्रयोग करना शुरू किया था, जो उनके अंतिम समय तक उनके साथ रहा.
13 साल की उम्र में ही महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा गांधी से हो गई थी. उनके गंभीर और स्थिर स्वभाव के चलते उन्हें सभी ‘बा’ कहकर पुकारते थे. साल 1922 में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए महात्मा गांधी जब जेल चले गए तब स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं को शामिल करने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा गांधी ने आंदोलन चलाया और उसमें कामयाब भी रहीं. 1915 में कस्तूरबा जब महात्मा गांधी के साथ भारत लौंटी तो साबरमती आश्रम में लोगों की मदद करने लगीं. आश्रम में सभी उन्हें ‘बा’ कहकर बुलाते थे. ‘बा’ का मतलब होता है ‘मां.
हायर एजुकेशन के लिए महात्मा गांधी ने कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन गरीब परिवार से आने और फीस अफोर्ड नहीं कर पाने के चलते उन्हें बीच में ही कॉलेज छोड़ना पड़ा. जब गांधी ने कॉलेज छोड़ा तब उनके पारिवारिक मित्र मावजी दवे जोशीजी ने उन्हें और उनके परिवार को सलाह दी कि उन्हें लंदन जाकर लॉ (वकालत) की पढ़ाई करनी चाहिए. इसके बाद घर वालों को राजी करके वे लंदन गए और बैरिस्टर की पढ़ाई की. वे काफी साल अफ्रीका में भी रहे. बाद में भारत लौटने पर देश को आजाद करने में अपना जीवन लगा दिया. लोग उनके विचारों से इतने प्रभावित थे कि सब उन्हें महात्मा के नाम से जानने लगे.
महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ने के लिए दांडी मार्च का आयोजन किया था. ये यात्रा 12 मार्च 1930 गुजरात के दांडी से शुरू हुई थी. यह एक ऐसा वक्त था, जब देश आजादी के लिए अंगड़ाई ले रहा था. एक तरफ भगतसिंह जैसे युवा नेताओं ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था और दूसरी तरफ महात्मा गांधी अंहिसात्मक आंदोलन के जरिए अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने निकल पड़े.
गांधी जी ने सत्य, अहिंसा के साथ चरखे को अपनी ताकत बनाया था और उसी चरखे ने हमारे देश को आजादी से पहले ही आत्मनिर्भर बनने का पहला पाठ पढ़ाया था. गांधी जी चरखे के माध्यम से उस समय भी स्वदेशी अपनाओ का संदेश दिया करते थे.
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