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सिर्फ भारत में 12 साल में एक बार खिलते हैं Neelakurinji Flowers, लाखों रुपये खर्च कर दुनियाभर से लोग आते हैं देखने

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत के हर कोने को कुदरत ने खूबसूरती से संवारा है और यहीं वजह है कि दुनियाभर से लोग इन नजारों को देखने के लिए आते हैं. केरल (Kerala) के इडुक्की जिले में खिलने वाले नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) भी इनमें से एक हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च कर पहुंचते हैं. इन दिनों इडुक्की जिला इन नीलकुरिंजी फूलों से गुलजार हो गया है और शालोम पहाड़ी प्राकृतिक खूबसूरती में चार चांद लगा रही है.

12 साल में एक बार खिलते हैं फूल

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12 साल में एक बार खिलते हैं फूल

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) बेहद ही दुर्लभ हैं और ये 12 सालों में सिर्फ एक बार खिलते हैं. नीलकुरिंजी एक मोनोकार्पिक पौधा होता है, जो खिलने के बाद जल्दी ही मुरझा भी जाता है और फिर इसे दोबारा खिलने में 12 साल का लंबा समय लग जाता है. (फोटो सोर्स- एएनआई)

सिर्फ भारत में खिलता है ये फूल

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सिर्फ भारत में खिलता है ये फूल

नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) की खास बात है कि ये सिर्फ भारत में ही खिलते हैं. नीलकुरिंजी फूल आमतौर पर केरल के अलावा तमिलनाडु में भी अगस्त से लेकर अक्टूबर तक खिलते हैं. (फोटो सोर्स- केरल टूरिज्म)

फूल का सांस्कृतिक महत्व

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फूल का सांस्कृतिक महत्व

नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) का भारत में एक सांस्कृतिक महत्व भी है. हिंदू अखबार के पूर्व संपादक रॉय मैथ्यू ने अपनी किताब में बताया है कि केरल की मुथुवन जनजाति के लोग इस फूल को रोमांस और प्रेम का प्रतीक मानते हैं. कथाओं के मुताबिक इस जनजाति के भगवान मुरुगा ने इनकी जनजाति की शिकारी लड़की वेली से नीलकुरिंजी फूलों की माला पहनाकर शादी की थी. इसी तरह पश्चिमी घाट की पलियान जनजाति के लोग उम्र का हिसाब इस फूल के खिलने से लगाते हैं. (फोटो सोर्स- केरल टूरिज्म)

केरल में बनी है सैंक्चुअरी

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केरल में बनी है सैंक्चुअरी

नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) के लिए कुरिंजीमाला नाम का संरक्षित क्षेत्र यानी सैंक्चुअरी भी है, जो मुन्नार से 45 किलोमीटर दूर है. 2006 में केरल के जंगलों का 32 वर्ग किलोमीटर इलाका इस फूल के संरक्षण के लिए सुरक्षित रखा गया था. इसे कुरिंजीमाला सैंक्चुअरी का नाम दिया गया. (फोटो सोर्स- केरल टूरिज्म)

टूरिज्म को होता है काफी फायदा

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टूरिज्म को होता है काफी फायदा

नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flowers) फूल को केरल की खुशहाली का भी प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसके खिलने से राज्य के टूरिज्म को जबरदस्त फायदा होता है और इन्हें देखने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च कर पहुंचते हैं. हालांकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से केरल (Coronavirus in Kerala) में सैलानियों के आने पर रोक लगी हुई है. (फोटो सोर्स- केरल टूरिज्म)

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