Mughal History: मुगल शासकों (Mughal Rulers) ने भारत में 300 साल से ज्यादा समय तक शासन किया. लेकिन एक हिंदू योद्धा ऐसा भी था जिसने मुगल सेना को बुरी तरह से हरा दिया था और तत्कालीन मुगल बादशाह (Mughal Emperor) को लाल किले (Red Fort) के अंदर ही छिपे रहने के लिए मजबूर कर दिया था. डर के मारे मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला (Muhammad Shah Rangeela) लाल किले से बाहर नहीं निकला था. जिस दिल्ली पर मुगल शासन करते थे वह तीन दिन तक इस हिंदू योद्धा के रहमो-करम पर थी. दिल्ली के तालकटोरा में इस हिंदू योद्धा की सेना ने अपना डेरा जमाया था. इसके लड़ाकों ने मुगल सेना को करारी मात दी थी. मुगल बादशाह खुद लड़ने नहीं आया था, उसने मीर हसन कोका को 8-10 हजार सैनिकों के साथ लड़ने के लिए भेज दिया था, जिसमें उनकी हार हुई थी. आइए जानते हैं कि ये बहादुर हिंदू योद्धा कौन था?
बता दें कि मुगल सेना को करारी शिकस्त देने वाले हिंदू योद्धा कोई और नहीं बल्कि बाजीराव पेशवा प्रथम ही थे. इनको बाजीराव बल्लाल भट्ट के नाम से भी जाना जाता है. बाजीराव के नेतृत्व में मराठा सेना ने दिल्ली पर चढ़ाई की थी और उन्हें हरा दिया था.
गौरतलब है कि बाजीराव पेशवा प्रथम ने छत्रपति शिवाजी महाराज के सपने को पूरा किया था और दिल्ली तक भगवा का परचम फहरा दिया था. बाजीराव पेशवा प्रथम ने ऐसी रणनीति बनाई थी कि मुगलों की सेना मथुरा में ही अटकी रह गई थी और इधर उनके लड़ाकों ने दिल्ली पर चढ़ाई कर दी थी.
उस वक्त देश में कोई ताकत नहीं थी जो मुगलों से झगड़ा मोल ले. लेकिन बाजीराव पेशवा प्रथम ने मुगलों का घमंड तोड़ दिया. बाजीराव पेशवा प्रथम को पता था कि मुगलों का खौफ तभी सबके दिल से हटेगा जब उनकी जड़ यानी दिल्ली पर आक्रमण होगा और उन्होंने फिर ऐसा ही किया.
जान लें कि बाजीराव पेशवा प्रथम का खौफ निजाम तक को था. मुश्किल समय में जब पुराने वफादार निजाम से मुगलों ने मदद मांगी तो उसने बाजीराव से जंग नहीं की. हालांकि, उसने मुगल बादशाह से मिलने के लिए दिल्ली कूच जरूर किया था.
बता दें कि बाजीराव पेशवा ने मुगल सिपहसालार मोहम्मद बंगश को भी मात दी. सन् 1728 से लेकर 1735 के बीच बाजीराव ने कई युद्ध लड़े और मालवा और गुजरात को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद 1736 में दिल्ली पर हमला करके उन्होंने मुगल सेना को भी परास्त कर दिया.
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