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तमिलनाडु सरकार ने मंदिरों में गैर ब्राह्मणों को बनाया पुजारी, बवाल के बीच स्टालिन ने दी सफाई

चेन्नई: तमिलनाडु (Tamil Nadu) के दो मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति को लेकर बवाल मचा हुआ है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (MK Stalin) के इस फैसले के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया पर बहस जारी है.   स्टालिन को इस मामले में विधान सभा में सफाई देनी पड़ी. स्टालिन ने कहा, सभी जातियों से नई नियुक्तियां करने के लिए मंदिरों के किसी भी सेवारत पुरोहित को नहीं हटाया गया है और यदि ऐसा कोई मामला सबूत के साथ पेश किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.

ट्रेनिंग के बाद हुई नियुक्ति

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ट्रेनिंग के बाद हुई नियुक्ति

मुख्यमंत्री के बयान से पहले हिंदू धर्म और परमार्थ प्रदाय (एचआरसीई) मंत्री पी के सेकर बाबू ने कहा था कि किसी भी ब्राह्मण पुरोहित को निशाना नहीं बनाया गया है और यह कि उनके विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में पुरोहित के रूप में सभी जातियों के लोगों की नियुक्ति करके किसी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है. स्टालिन ने कहा कि ‘थंथाई पेरियार के हृदय के कांटों’ को हटाने के इच्छुक दिवंगत मुख्यमंत्री कलैगनार की कानूनी पहल को लागू करते हुए उनकी नियुक्ति की गयी है जिन्हें मंदिरों में पुरोहित कार्य करने के लिए ट्रेनिंग दी गई.

 

'कुछ लोगों को ये कदम बर्दाश्त नहीं'

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'कुछ लोगों को ये कदम बर्दाश्त नहीं'

स्टालिन का कहना है कि कुछ लोग इस कदम को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और उन्होंने इस पहल को पटरी से उतारने की कोशिश के तहत सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. कलैगनार शब्द दिवंगत मुख्यमंत्री एम करूणानिधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि सुधारवादी नेता ई वी रामास्वामी थंथाई पेरियार के नाम से जाने जाते हैं. ‘थंथाई पेरियार के हृदय के कांटों’ हिंदू धर्म के सभी धर्मावलंबियों, भले ही उनकी कोई भी जाति हो के लिए मंदिरों में पूजा का समान अवसर सुनिश्चित करने के पेरियार के सपने को पूरा करने के लिए DMK द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.

 

ब्राह्मण पुरोहितों को निशाना बनाया जा रहा?

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ब्राह्मण पुरोहितों को निशाना बनाया जा रहा?

तमिलनाडु में भी सरकार के इस फैसले का कई लोग विरोध कर ररे हैं तो कुछ लोग इसके पक्ष में भी हैं. विरोध करने वालों को लेकर CM स्टालिन का कहना है कि कुछ लोगों ने या तो अपने राजनीतिक झुकाव के कारण इस कदम के विरूद्ध काम किया, या वे बस इस पहल को मटियामेट कर देना चाहते हैं जबकि इसका लक्ष्य सामाजिक न्याय लाना है. एचआरसीई मंत्री ने ब्राह्मण पुरोहितों को निशाना बनाए जाने के फैसले का विरोध किया है. 

 

करुणानिधि ने किया था बड़ा बदलाव

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करुणानिधि ने किया था बड़ा बदलाव

वर्तमान ब्राह्मण पुरोहितों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है कि सोमवार को उनकी सेवाएं अचानक खत्म कर दी गई हैं और उनकी जगह नये पुजारी नियुक्त कर दिये गये. इस आरोप पर बाबू ने दावा किया, ‘कुछ हिंदुत्व शक्तियों ने, जो यह नहीं चाहती हैं कि अन्य लोग जीवन में आगे बढ़ें, यह शरारतपूर्ण अभियान चलाया है.’ मंत्री ने कहा, कलैंगनार (करुणानिधि को इस नाम से जाना जाता है) ने एचआरएंड सीई अधिनियम (1971 में) संशोधन किया और मंदिरों के लिए पुरोहितों की वंशानुगत नियुक्ति की पारंपरिक प्रथा खत्म कर दी.’

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'15 साल से नियुक्ति का कर रहा था इंतजार'

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'15 साल से नियुक्ति का कर रहा था इंतजार'

मदुरै में मंदिरों में दो गैर ब्राह्मण पुजारी पी महाराजन और एस अरुणकुमार नियुक्त किए गए हैं. नए नियुक्त हुए पुजारी अरुण कुमार ने कहा, मुझे मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर में पुजारी नियुक्त किया गया है. मैंने 2007 में पुजारी की ट्रेनिंग पूरी की है. मैं पिछले 15 साल से इस नियुक्ति का इंतजार कर रहा हूं.

 

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