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अजीबो-गरीब: यहां सूर्य ग्रहण के दौरान मिट्टी में गाड़े जाते हैं विकलांग बच्चे, ये है मान्यता

एक तरफ जहां देशभर के कई स्कूलों में बच्चों को सूर्य ग्रहण दिखाया गया तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ये अद्भुत नजारा अपनी आंखों में कैद किया. 

 

देश-दुनिया में दिखा अनोखा नजारा

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देश-दुनिया में दिखा अनोखा नजारा

जिस समय देश-दुनिया के लोग इस अनोखे नजारे को एक खास किस्म के चश्मे की मदद से अपने जहन में कैद कर रहे थे ठीक उसी समय कर्नाटक के कलबुर्गी में कुछ बच्चे जमीन के अंदर गाड़े जा रहे थे. 

 

अंधविश्वास या परंपरा

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अंधविश्वास या परंपरा

दरअसल, यहां एक पुरानी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के समय मानसिक एवं शाररिक विकलांगता या किसी असाध्य रोग से पीड़ित बच्चे या वयस्क को मिट्टी में गाड़ दिया जाए तो बीमारी से राहत मिलती है. 

 

जमीन में गाड़े जाते हैं लोग

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जमीन में गाड़े जाते हैं लोग

इस परंपरा में बच्चा हो या बड़ा उसे जमीन में गाड़ा जाता है. उसका सिर्फ सिर और मुंह का हिस्सा बाहर रहता है जबकि पूरा शरीर मिट्टी के भीतर. 

 

परिजन बच्चों को जमीन में गाड़ते हैं

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परिजन बच्चों को जमीन में गाड़ते हैं

गुरुवार को सूर्य ग्रहण लगते ही कलबुर्गी में मानसिक एवं शाररिक रूप से विकलांग बच्चों के परिजन उन्हें लेकर खाली मैदान में चले गए और जमीन में गड्ढ़ा खोद बच्चों को उसमें गाड़ दिया. बच्चे चीखते रहे और राहगीर ये पूरा तमाशा देखते रहे. यह एक ऐसा अंधविश्वास है जो सदियों से चला आ रहा है आज भी कायम है.

 

क्यों खास है ये सूर्य ग्रहण

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क्यों खास है ये सूर्य ग्रहण

आपको बता दें कि आज सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य 296 वर्ष बाद आग की अंगूठी जैसा दिखा. इससे पहले 7 जनवरी 1723 को ऐसा ग्रहण देखा गया था. 

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