दरअसल, रविवार सुबह करीब 10 बजे ग्लेशियर टूटने के बाद आए बाढ़ के कारण सभी मजदूर टनल में फंस गए और उन्होंने निकलने की उम्मीद छोड़ दी थी. इसी दौरान उनमें से एक व्यक्ति ने देखा कि उसका मोबाइल काम कर रहा है. इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से संपर्क कर मदद मांगी, जिसके बाद उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जा सका.
तपोवन बिजली परियोजना में काम करने वाले लाल बहादुर ने अपनी आपबीती बताई है. उन्होंने कहा, 'बाढ़ आने से पहले हमने लोगों की आवाजें सुनीं, जो चिल्लाकर हमे सुरंग से बाहर आने के लिए कह रहे थे, लेकिन इससे पहले कि हम कुछ कर पाते पानी और कीचड़ की जोरदार लहर अचानक हम पर टूट पड़ी.'
जब मजदूरों ने अधिकारियों से संपर्क किया, तब आईटीबीपी ने सर्च अभियान तेज की और सुरंग से 12 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. अधिकारियों ने कहा कि जोशीमठ में घटनास्थल से लगभग 25 किलोमीटर दूर आईटीबीपी के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
अधिकारियों के बताया कि सभी 12 मजदूर सुबह 10 आई त्रासदी के बाद सुरंग में फंस गए थे, जिन्हें शाम पांच बजे तक बाहर निकाला गया. सभी करीब सात घंटे सुरंग में फंसे थे.
नेपाल के रहने वाले बसंत ने बताया, 'जब पानी का तेज बहाव आया तो हम सुरंग में 300 मीटर अंदर थे. इसके बाद किसी तरह सुरंग के बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी सारी कोशिश नाकाम हुई.'
इस घटना में बचाए गए एक अन्य व्यक्ति ने बताया, 'हादसे के बाद हमने उम्मीद छोड़ दी थी, हालांकि इस दौरान हमें सांस लेने के लिए हवा मिल रही थी और फिर हमें कुछ रोशनी भी दिखी. अचानक हम में से एक व्यक्ति ने देखा की उसके मोबाइल के नेटवर्क आ रहे हैं. उसने महाप्रबंधक को फोन कर हमारी स्थिति के बारे में बताया.'
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