उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 10 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशे जारी हैं. मलबे को भेदकर पाइप डालकर रास्ता तैयार किया जा रहा है.12 मीटर पाइपलाइन बिछाने का काम अभी भी बाकी है.
राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के बचाव प्रयासों का नेतृत्व कर रहे कर्नल दीपक पाटिल ने कहा, उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में 41 मजदूरों को बचाने के लिए 12 मीटर पाइपलाइन बिछाने का काम अभी भी बाकी है. उन्होंन गुरुवार सुबह एएनआई को बताया, दो पाइपलाइन बिछाने का काम अभी बाकी है और उनकी लंबाई लगभग 12 मीटर है. हालांकि, अंडमान की टीम ने गैस कटर के जरिए मलबे में मौजूद स्टील की छड़ों को हटा दिया है और रास्ते में आने वाली रुकावट को खत्म कर दिया गया है.
एएनआई के मुताबिक कर्नल दीपक पाटिल ने कहा, 'आखिरी पाइप का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था; इसे काटने का काम चल रहा है. हमें दो जोड़ों को जोड़ना है, इसमें 6 घंटे लगेंगे. वर्तमान में, आधिकारिक तौर पर केवल 44 मीटर की पाइपलाइन बिछाई जा रही है. '
पीटीआई-भाषा के मुताबिक 41 मजदूरों को एक-एक कर बाहर लाने के लिए एनडीआरएफ की 15 सदस्यीय टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है. एनडीआरएफ के ‘सेकंड इन कमांड’ रवि शंकर बधानी ने बताया कि एनडीआरएफ के जवानों ने इसका अभ्यास कर लिया है कि कैसे पाइप के जरिए मलबे के दूसरी ओर जाना है जहां श्रमिक फंसे हुए हैं
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि प्लान के मुताबिक, पहिए लगे कम उंचाई के स्ट्रेचर को मलबे के दूसरी ओर ले जाया जाएगा जहां मजदूर फंसे हुए हैं. ऑक्सीजन किट पहनकर एनडीआरएफ के जवान एक स्ट्रेचर, एक रस्सी और श्रमिकों के लिए ऑक्सीजन किट लेकर पाइप में रेंगते हुए उन तक पहुंचेंगे. अधिकारी ने बताया कि स्ट्रेचर को रस्सियों से दोनों तरफ से बांधा जाएगा और एक-एक कर इन श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा. उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की एक टीम दूसरी तरफ तब तक रहेगी जब तक कि प्रत्येक मजदूर बाहर नहीं आ जायेगा.
फंसे हुए लोगों को सुरक्षित रूप से बाहर निकालने के लिए डॉक्टरों की एक टीम को सुरंग के अंदर तैनात किया गया है जबकि एंबुलेंस बाहर तैयार खड़ी हैं. सुरंग के बाहर खड़ी एंबुलेंस 41 मजदूरों को घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाएंगी जहां उनके लिए 41 बिस्तरों के साथ एक अलग वार्ड बनाया गया है.
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