(PM Modi) ने आज राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 151वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद वे विजयघाट पहुंचे और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की समाधि पर फूल चढ़ाए.
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नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 151वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) राजघाट पहुंचे. उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर फूल चढ़ाए और सर्वधर्म प्रार्थना में शामिल हुए.
इसके बाद वे विजय घाट पहुंचे. जहां उन्होंने शास्त्रीजी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. पूर्व पीएम के दोनों बेटे भी श्रद्धासुमन अर्पित करने विजयघाट पहुंचे. पीएम मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे विनम्र लेकिन दृढ़निश्चयी थे. उन्होंने पूरा जीवन और मरण देश को अर्पित कर दिया. पूरा देश उन्हें गर्व के साथ याद कर रहा है.
Lal Bahadur Shastri Ji was humble and firm.
He epitomised simplicity and lived for the welfare of our nation.
We remember him on his Jayanti with a deep sense of gratitude for everything he has done for India. pic.twitter.com/bTV6886crz
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2020
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार 1 अक्टूबर को देशवासियों से सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने और स्वच्छ और समृद्ध भारत के निर्माण का आह्वान किया. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.
गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि गांधीजी का बताया सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग समाज में सौहार्द और समानता लाते हुए विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है. राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के मूल्य जितने प्रासंगिक कल थे, उतने ही आज हैं और उतने ही भविष्य में भी रहेंगे.
कोविंद ने कहा, ‘गांधी जयंती के शुभ अवसर पर हम स्वयं को देश के कल्याण और समृद्धि के लिए, सत्य और अहिंसा के मंत्र का अनुसरण करने के लिए तथा एक स्वच्छ, समर्थ, मजबूत एवं समृद्ध भारत के निर्माण के साथ ही गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए पुन: समर्पित करने का संकल्प लें.’ उन्होंने कहा कि लोग अब मानते हैं कि सबसे बड़ी समस्याओं का समाधान सद्भाव और सहिष्णुता के मार्ग से हो सकता है, जैसा कि महात्मा गांधी ने सुझाया था.
राष्ट्रपति ने कहा, ‘गांधीजी का स्वयं का जीवन इसी रास्ते पर चलने का उज्ज्वल उदाहरण है. उन्होंने हमें सिखाया कि हमें उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करना चाहिए, जो हमारे शुभचिंतक नहीं हैं और हमें सभी के प्रति प्रेम, करुणा और क्षमा की भावना रखनी चाहिए. हमारे विचारों, कथनों और कर्मों में एकरूपता होनी चाहिए.’