वामपंथी राजनीति का अड्डा माना जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वर्चुअली मौजूद होंगे. पीएम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेएनयू कैंपस में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करेंगे.
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नई दिल्ली: वामपंथी राजनीति का अड्डा माना जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज वर्चुअली मौजूद होंगे. पीएम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेएनयू कैंपस में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करेंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री अलग अलग मंचों से स्वामी विवेकानंद की बातें और उपदेश बताते रहे हैं. यह पहला मौका है जब प्रधानमंत्री मोदी वामपंथियों के गढ़ समझा जाने वाले जेएनयू के किसी कार्यक्रम में भाग लेंगे. हालांकि, JNUSU ने विरोध जताया है.
जेएनयू कैंपस में इसकी तैयारियां शुरू
पीएम के कार्यक्रम से पहले जेएनयू कैंपस में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. वहीं बुधवार को एबीवीपी छात्र संगठन ने साबरमती ढाबा से विवेकानंद प्रतिमा तक सम्मान यात्रा भी निकाली. प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, वीडियो कांफ्रेंसिंग से होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित रहेंगे.
At 6:30 this evening, will unveil a statue of Swami Vivekananda at the JNU campus and share my thoughts on the occasion. The programme will be held via video conferencing. I look forward to the programme this evening.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 12, 2020
विवेकानंद के आदर्श जितने उनके जीवनकाल में प्रासंगिक थे वह आज भी हैं: मोदी
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान में कहा है कि स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत और संदेश आज भी देश के युवाओं को राह दिखाते हैं. भारत को गर्व है कि यहां पैदा हुई उनकी जैसी महान शख्सियत आज भी दुनिया भर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते हैं कि स्वामी विवेकानंद के आदर्श जितने उनके जीवनकाल में प्रासंगिक थे वह आज भी हैं.
साल 2018 से मूर्ति ढकी रखी है
कैंपस में स्वामी जी की मूर्ति 2018 में तैयार हो गई थी. लेकिन लगातार हो रहे विवाद की वजह से अब तक ये मूर्ति ढंकी रखी है. दरअसल, मूर्ति में लगे फंड को लेकर छात्र हंगामा करते रहे हैं. विद्यार्थियों का कहना था कि छात्रों के हॉस्टल फंड को मूर्ति में लगा दिया गया है जबकि, प्रशासन बार बार कहती आई है कि ये फंड पूर्व विद्यार्थियों द्वारा दिया गया है.
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मूर्ति के साथ पिछले साल हुई थी छेड़छाड़
वामपंथ की पाठशाला जेएनयू की छात्र राजनीति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहती है. इस विश्वविद्यालय में अक्सर हीं लेफ्ट विंग और राइट विंग के बीच बवाल होते रहते हैं. इतना ही नहीं, स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगने पर भी खासा विवाद हो चुका है. अनावरण इंतजार में ढंकी विवेकानंद की मूर्ति के आसपास और कैंपस में कई जगह नारे लिखे गए थे. इस घटना को लेकर दोनों ही विंग एक दूसरे पे आरोप प्रत्यारोप करते नजर आये.
विवेकानंद के उपदेशों को प्रेरणा के रूप में
संघ में हमेशा हीं विवेकानंद के उपदेशों को प्रेरणा के रूप में लिया है. स्वामी विवेकानंद को संघ ने राष्ट्रवाद और संस्कृति में समन्वय के लिए साधुवाद करता आया है. विवेकानंद को राष्ट्रवाद का प्रतीक मानते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार अजीत डोभाल ने साल 2009 में विवेकानंद इंटरनैशनल फाउंडेशन की स्थापना पर जोर दिया. यह फांउडेशन विवेकांनद केंद्र की जमीन पर बना है. इसमे रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, डिप्लोमेट्स और सैनिकों को जोड़कर एक राष्ट्रवादी नजरिए से नीतिगत सुझाव तैयार करने पर चिंतन मंथन किया जाता है.
लेफ्ट के गढ़ में ABVP की साख
पिछले 50 सालों में जेएनयू में हमेशा हीं छात्रसंघ पर वामपंथियों का कब्जा रहा है. एबीवीपी ने इक्के दुक्के सफलता हासिल की है. लेकिन 2014 के लोक सभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री ने इस विश्वविद्यालय में इंटरेस्ट लिया. और धीरे धीरे एबीवीपी के छात्रों का दबदबा बढ़ने लगा. इसी विश्वविद्यालय में अफजल के फांसी के खिलाफ नारे लगे. भारत के खिलाफ भी नारे लगाए गए.
लेफ्ट की पाठशाला बंद करने में जुटी भाजपा
जेएनयू को लेकर प्रधानमंत्री हमेशा हीं सख्त रहे हैं. माना जा रहा है कि जेएनयू से वामपथियों की साख मिटाने के क्षेत्र में ये पहली कोशिश है. स्वामी विवेकांनद की मूर्ति का अनावरण पीएम मोदी के हाथों होना एक नया संकेत है. इस मूर्ति के अनावरण से जहां जेएनयू में वामपंथियों का दबदबा कम करने की कोशिश की जाएगी वहीं बंगाल चुनाव को भी साधा जाएगा. विवेकानंद बंगाली सभ्यता के प्रतीक हैं ऐसे में बीजेपी एक तीर से दो शिकार करने जा रही है.