सूत्रों के मुताबिक मेक इन इंडिया के तहत मेट्रो से संबंधित मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए देश में सभी मेट्रो लाइनों को एक जैसा होना जरूरी है. ताकि देश में मेट्रो कोच और बाकी उपकरण बनाने की फैक्ट्रियां लग सके.
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नई दिल्ली. मोदी सरकार देश में मेट्रो प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करने जा रही है. 'मेक इन इंडिया' के तहत केंद्र सरकार सभी राज्यों और मेट्रो लाइन बना रही कंपनियों को मेट्रो के एक जैसे स्वरूप के लिए एक प्रारूप तैयार कर रही है. इसे अगले एक महीने में घोषित किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक मेक इन इंडिया के तहत मेट्रो से संबंधित मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए देश में सभी मेट्रो लाइनों को एक जैसा होना जरूरी है. ताकि देश में मेट्रो कोच और बाकी उपकरण बनाने की फैक्ट्रियां लग सके.
सूत्रों के मुताबिक पीएमओ इस मुद्दे को सीधे देख रहा है, कुछ दिनों पहले भी केंद्र सरकार ने मेट्रो कोच और दूसरे उपकरणों के लिए प्रक्योरमेंट नीति में भी बदलाव किए थे और पब्लिक सेक्टर कंपनियों को भारतीय कंपनियों को काम देने के लिए कहा था. लेकिन मेट्रो में ऐसा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि हर राज्य अपने हिसाब से मेट्रो को डिजाइन कर रहा है. इसलिए सभी राज्यों से मेट्रो के डिजाइन मंगाकर उनकी समीक्षा की जा रही है. इसके बाद सभी राज्यों की मेट्रो में एक रूपता लाने के लिए केंद्र सरकार एक नई नीति लाने जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक पूरे देश में अभी तक लगभग 450 किलोमीटर मेट्रो लाइन ऑपरेश्नल है और 600 किलोमीटर मेट्रो लाइन तैयार हो रही है. जबकि 924 किलोमीटर लाइन के प्रस्तावों पर अभी विचार किया जा रहा है. इस 924 किलोमीटर लाइन के लिए अभी टेंडर दिए जाने हैं.
लिहाजा, नई नीति आने के बाद सिग्नलिंग, ट्रेक और बोगी एक जैसे होंगे और किसी भी कंपनी को इतने बड़े आर्डर के लिए देश में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाने में परेशानी नहीं होगी. इसलिए इस 924 किलोमीटर की लाइन को मंजूरी से पहले इस नीति को लाया जाना है. दस शहरों में अभी मेट्रो चल रही है, जबकि 21 शहरों में इसकी तैयारी चल रही है. लिहाजा नई नीति के जरिए मोदी सरकार रोज़गार के बड़े अवसर भी खोलना चाहती है. इसलिए अगले एक महीने में इस नीति को घोषित करने की कोशिश की जा रही है.