भारत-बांग्लादेश ही नहीं, श्रीलंका के राष्ट्रगान से भी जुड़ा है रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम
Advertisement
trendingNow1724650

भारत-बांग्लादेश ही नहीं, श्रीलंका के राष्ट्रगान से भी जुड़ा है रवीन्द्र नाथ टैगोर का नाम

रवीन्द्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की पुण्यतिथि पर जानिए उनके बारे में एक दिलचस्प जानकारी.

रवींद्रनाथ टैगोर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: रवीन्द्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की पुण्यतिथि पर जानिए उनके बारे में एक दिलचस्प जानकारी. उनके बारे में हमारे बच्चे हमारे राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता के तौर पर पढ़ते आए हैं, कॉलेजों में जाकर उन्हें पता चलता है कि बांग्ला देश (Bangladesh) का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी उन्हीं का रचा हुआ है. लेकिन ये बात कम लोग ही जानते हैं कि श्रीलंका (Shri Lanka) के राष्ट्रगान (National anthem) से भी उनका नाम जुड़ा है और जिसने श्रीलंका का राष्ट्रगाम लिखा, वो शांतिनिकेतन में उनके शिष्य थे.

  1. भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता रहे रवींद्रनाथ टैगोर
  2. श्रीलंका का राष्ट्रगान लिखने वाले आनंदा थे टैगोर के शिष्य
  3. श्रीलंका के राष्ट्रगान में संशोधन के खिलाफ आनंदा ने दी दी थी जान

आपने अब तक श्रीलंका का राष्ट्रगान नहीं सुना होगा. यूट्यूब पर ढूंढकर सुनिए. देखिए, आपको लगेगा कि कोई भारतीय गाना ही है, जिसके बोल हैं-

‘’श्रीलंका माता

अप श्री लंका

नमो नमो नमो

नमो माता’’

इस राष्ट्रगान को लेकर श्रीलंका में जो कहा जाता है, वो जानिए. वहां माना जाता है कि श्रीलंका के संगीतकार आनंदा समाराकून ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के काम से प्रेरणा लेकर इसको लिखा था, संगीतबद्ध किया था. हालांकि बहुत लोग वहां मानते हैं कि खुद रवीन्द्र नाथ टैगोर ने ही इसे लिखा था. जबकि कुछ मानते हैं कि म्यूजिक टैगोर का था, लिखा आनंदा ने था. दरअसल आनंदा समाराकून विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन में पढ़ते थे.

टैगोर के सानिध्य में संगीत सीखने के बाद आनंदा श्रीलंका लौटे और वहां के महिंदा कॉलेज में संगीत सिखाने लगे. उन्होंने एक गीत तैयार किया ‘नमो नमो माता’, जो उसी कॉलेज के बच्चों ने पहली बार गाया. श्रीलंका की गंधर्व सभा ने आजादी से पहले 1948 में नेशनल एंथम तय करने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की. आनंदा के 'नमो नमो माता' के मुकाबले था पीबी इल्लनगसिंघे और लियोनल एडीरीसिंघे का गीत ‘श्रीलंका माता पासा यला महिमा’.

आनंदा का गीत नहीं चुना जा सका, लेकिन विवाद हो गया क्योंकि उस गीत के रचयिता पहले से जजों के पैनल में भी थे. ‘श्रीलंका माता पासा यला महिमा’ को रेडियो सीलोन पर सुनाया गया, लेकिन लोगों को पसंद नहीं आया. 4 फरवरी 1949 को पहले स्वतंत्रता दिवस पर भी इस विवाद का पटापेक्ष नहीं हो पाया और राष्ट्रगान के तौर पर दोनों ही गीत गाए गए.

1950 में सरकार ने एक उच्चस्तरीय कमेटी राष्ट्रगान चुनने के लिए बनाई और आनंदा का गीत ‘नमो नमो माता, अप श्रीलंका’ को राष्ट्रगान चुन लिया गया. उसके बावजूद विरोधी इस गीत के खिलाफ अभियान चलाते रहे, कहते रहे कि इसकी पहली लाइन ‘अनलकी’ है, तब सरकार ने तय किया कि ‘नमो नमो माता’ की जगह ‘श्रीलंका माता’ किया जाएगा. आनंदा ने विरोध किया, लेकिन सरकार ने संशोधन फिर भी कर दिया.

गुस्से में आकर श्रीलंका के इस राष्ट्रगीत के रचयिता औऱ टैगोर के शिष्य आनंदा समाराकून ने आत्महत्या कर ली औऱ सुसाइड नोट में इसकी वजह भी लिखकर गए, लेकिन सरकार ने बदलाव फिर भी नहीं हटाया. 1978 में इसे संवैधानिक स्वीकृति भी संशोशन के जरिए दिलवा दी. हालांकि बाद में इसके तमिल और सिंहली दो वर्जन को लेकर विवाद हुआ था, 2015 से तमिल वर्जन भी गाया जाने लगा, लेकिन 2020 में फिर से बैन कर दिया गया है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news