राहुल गांधी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मान मनुवव्ल का दौर जारी , लेकिन राहुल गांधी झुकने को तैयार नहीं सूत्रों के मुताबिक उन्होंने सीनियर नेताओं से किसी ओबीसी या दलित को कांग्रेस प्रेसिडेंट बनाने की बात कही
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नई दिल्ली: राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उनको मनाने का दौर जारी है. हालांकि राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं से साफ कर दिया है कि वह किसी भी हालत में इस्तीफा वापस नहीं लेंगे. पार्टी अपना नया अध्यक्ष 1 महीने के अंदर तय कर ले. राहुल गांधी के करीबी सूत्रों के मुताबिक वह चाहते हैं कि नया अध्यक्ष ओबीसी या दलित कम्युनिटी का हो. अब यह कांग्रेस पार्टी के नेताओं को तय करना है कि वह किस ओबीसी या दलित नेता के नाम पर अंतिम मुहर लगाती है.
हालांकि राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने की मांग करते हुए कुछ राज्यों की कांग्रेस कमेटियों ने प्रस्ताव भी पारित किया है. वहीं आज राहुल गांधी के घर के बाहर दिल्ली के कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता अनशन पर बैठ गए थे, जिसे बाद में पुलिस ने हटा दिया. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ राहुल गांधी के घर जाएंगी और उन्हें अध्यक्ष पद दोबारा स्वीकार करने के लिए मनाएंगी.
लेकिन इन सब का कोई असर राहुल गांधी पर होता हुआ नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के किसी भी सीनियर नेता से मुलाकात नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि कांग्रेस पार्टी के सांसदों से भी राहुल गांधी की मुलाकात नहीं हो पाई है. इसको लेकर पार्टी के अंदर उहापोह की स्थिति बनी हुई है.
बुधवार को भी राहुल गांधी के इस्तीफे पर रस्साकशी जारी रही. वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से राज्यों के मुख्यमंत्रियों सीनियर नेताओं को यह कहा गया है कि वह राहुल गांधी से मिलने के लिए दिल्ली ना आएं. अशोक गहलोत भूपेश बघेल अमरिंदर सिंह जैसे नेता भी अपने अपने राज्य में चले गए हैं.
हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि कमलनाथ या अशोक गहलोत को हटाए जाने की कोई संभावना नहीं है. पार्टी को लग रहा है कि इन दोनों नेताओं को अस्थिर किया गया तो वहां सरकार गिर सकती है. इसलिए माना जा रहा है कि दोनों ही मुख्यमंत्रियों को अभय दान मिल गया है. हालांकि यह दोनों ही नेता अपने राज्यों में कांग्रेस की भितरघात से जूझ रहे हैं.
इस बीच में कर्नाटक की सरकार की स्थिरता को लेकर भी संकट खड़ा हो गया है. लिहाजा पार्टी के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद और संगठन मंत्री के वेणुगोपाल बेंगलुरु पहुंच गए हैं. जहां वह कुमारस्वामी सरकार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.
सूत्र बता रहे हैं इस राजनीतिक उठापटक में सोनिया गांधी पर्दे के पीछे से सक्रिय हैं. वह अपने राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के माध्यम से कांग्रेस पार्टी की सारी राजनीतिक गतिविधियों को मैनेज कर रही हैं. एक बात यह साफ हो गई है कि राहुल गांधी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं और उनके इस्तीफा वापस लेने की कोई संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है.