मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन ने वर्ष 2008 में कोटड़ी क्षेत्र में इसका सर्वे किया था, जिसमें कॉपर और गोल्ड की पुष्टि हुई थी. जमीन सतह से 60 से 160 मीटर अंदर गोल्ड और कॉपर का खजाना है. विभाग ने कॉपर और गोल्ड की इस बड़ी खदान के ब्लॉक की नीलामी जारी की है.
Trending Photos
Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा में सोने और तांबे के बड़े भंडार की पुष्टि होने के बाद खान बेचने के लिए खान एवं भूविज्ञान विभाग में एनआईबी यानी नोटिफाइड इनवाइट बीड भी जारी कर दी है. प्रदेश में सोने की खोज तो कई जगह हो चुकी है लेकिन, यहां पहली बार खान आवंटन की प्रक्रिया शुरू हुई है.
मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन ने वर्ष 2008 में कोटड़ी क्षेत्र में इसका सर्वे किया था, जिसमें कॉपर और गोल्ड की पुष्टि हुई थी. जमीन सतह से 60 से 160 मीटर अंदर गोल्ड और कॉपर का खजाना है. विभाग ने कॉपर और गोल्ड की इस बड़ी खदान के ब्लॉक की नीलामी जारी की है.
भू सर्वेक्षण विंग ने भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी के देवतलाई क्षेत्र में 188 हेक्टर का एक नया ब्लॉक तैयार किया है. कॉपर गोल्ड के इस ब्लॉक में 600 किलो सोना और ढाई मिनियन टन कॉपर है. वहीं, 16 दिसंबर 2021 को इसकी एनआईबी भी जारी कर अब आवेदन मांगे गए हैं. ब्लॉक की प्रारंभिक रिजर्व प्राइस 1840 करोड़ रुपए आंकी है. इसमें कॉपर और गोल्ड दोनो शामिल है. इस बीड में बोली भी 128 करोड़ से शुरू होगी.
यह भी पढ़ेंः Budget 2022: कोरोना से राजस्थान में शिक्षा पर असर की ऐसे होगी भरपाई
औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा का खनन के क्षेत्र में भी बड़ा नाम है. जिले में 1,239 खदाने है, 59 तरह के खनिज और 12,000 करोड़ का टर्न ओवर होता है. जिले का खनिज 42 देशों में जाता है. प्रदेश को खनन का 35 प्रतिशत राजस्व देता भीलवाड़ा जिला है. जिले का डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाऊडेशन ट्रस्ट प्रदेश का सबसे अमीर ट्रस्ट है और सालाना ट्रस्ट में 350 करोड़ जमा होते हैं.
जिले में एशिया की दो सबसे बड़ी खदाने हैं. विश्व की दूसरी ओर एशिया की सबसे बड़ी जिंक उत्पादन करने वाली माइंस हिंदुस्थान जिंक आगूचा ने स्थित है. आगुचा में 955 मीटर गहराई में अंडरग्राउंड माइंस में हाई मेकेनाइज्ड तरीके से जिंक और लेंड का खनन होता है. यह ओपन माइनिंग वर्ष 1991 में शुरू हुई. इसके बाद अप्रैल 2018 से अंडरग्राउंड माइनिंग हो रही है और सालाना 4.5 मिलियन मिट्रिक टन का उत्पादन होता है.
वहीं, दुनिया की सबसे बड़ी सोप स्टोन की खुली खदान चेनपुरा में गोलछा ग्रुप की है. यह खदान करीब 63 मीटर गहरी है. इसमें पहुंचने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता है, ताकि किसी प्रकार का हादसा ना हो. वहीं, ऊपर से नीचे जाते समय करीब एक किमी का रास्ता तय करना होता है और 4 देशों में हर महीने 1500 मिट्रिक टन निर्यात होता है.
Reporter- Mohammad Khan