सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत पर पुष्कर में उमड़ा आस्था का सैलाब
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सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत पर पुष्कर में उमड़ा आस्था का सैलाब

सोमवार तड़के सुबह से ही सोमवती अमावस्या , शनि जयंती और वट सावित्रि के  अवसर पर श्रृद्धालुओं का पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर तांता लगना शुरू हो गया.  

सोमवती अमावस्या

Pushkar: सोमवार तड़के सुबह से ही सोमवती अमावस्या , शनि जयंती और वट सावित्रि के  अवसर पर श्रृद्धालुओं का पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर तांता लगना शुरू हो गया.  श्रृद्धालुओं ने सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की.  दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान का सिलसिला जारी रहा. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किया, तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया.  

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बता दें कि, तीर्थ पुरोहितों के अनुसार, सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. पुरोहितों ने बताया कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या के इस दुर्लभ संयोग पर जो भी श्रृद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरो का तर्पण करता है.

 उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इन्हीं मान्यताओं के चलते सरोवर के बावन घाटों पर दिनभर श्रृद्धालुओं का मेला लगा रहा. वहीं, मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रहीं. शनि जयंती के विशेष सहयोग पर श्रद्धालुओं ने शनि के निमित्त काली वस्तुओं और लोहे से बनी वस्तुओं का दान किया . वहीं महिलाओं में वट सावित्री के व्रत और पूजन को लेकर विशेष उत्साह देखा गया \.पुष्कर आए श्रद्धालु और कस्बे की महिलाओं ने कस्बे के विभिन्न स्थानों पर वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति और परिवार की दीर्घायु की कामना की.

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