राजस्व और वन विभाग की भूमि पर सेंड स्टोन का अवैध खनन धड़ल्ले से बड़े पैमाने पर चल रहा है.
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Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara News) जिले में माण्डलगढ़ के ऊपरमाल क्षेत्र में राजनीतिक संरक्षण एवं धनबल के साए में खनन माफिया सक्रिय हो गया है. राजस्व और वन विभाग की भूमि पर सेंड स्टोन (Sand Stone) का अवैध खनन धड़ल्ले से बड़े पैमाने पर चल रहा है. वहीं अवैध खनन पर लगाम कसने वाले जिम्मेदार अफसरों और कार्मिकों की लापरवाही भी सामने आ रही है.
ऊपरमाल में एक दर्जन से अधिक जगह पर सेंड स्टोन के अवैध खनन (Illegal Mining) होने की जानकारी सामने आई है. सुखपुरा पंचायत के खड़ीपुर में भील बॉउंड्री और देवरिया खड़ला के पास बिलानाम और फारेस्ट की जमीन पर 150 गुना लम्बाई-चौड़ाई और करीब 35 फिट गहराई में खनन माफिया ने करोड़ों का सेंड स्टोन खनन कर लिया है. साथ ही अफसरों और फील्ड में तैनात कार्मिकों को भनक तक नहीं लगी है.
खनिज विभाग (Mineral Department) के फोरमेन गंगाधर (Gangadhar) ने बताया कि खड़ीपुर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन होने की शिकायत मिलने पर अवैध खनन बंद कराया है और वन विभाग द्वारा सीमाज्ञान भी कराया गया है.
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इसी प्रकार नयानगर में क्वेरिलाइसेन्स 32 की लीज से सटे आम रास्ते और आबादी से संरक्षित भूमि के निकट नाले में अवैध खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है. नयानगर में एक खातेदारी लीज से बाहर की भूमि और स्थगन वाली ब्लॉक बॉउंड्री में बड़े पैमाने पर पिछले दिनों विजिलेंस टीम ने अवैध खनन का मामला पकड़ा था लेकिन उक्त मामले की नतीजा रिपोर्ट को अफसर आज तक दबाए बैठे हैं.
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उनाली छापर और भाट खड़ला में ब्लॉक नम्बर 1 से 23 तक आवंटित ब्लॉक रेंट के अभाव बंद पड़े है जिसमें करीब 4 ब्लॉक की सीमा से सटी वन विभाग की भूमि में अवैध खनन किया जा रहा है और जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता से ऊपरमाल में स्वीकृत 25 बीघा की सेंड स्टोन खादानों में कई जगह निर्धारित सीमा से बाहर भी अवैध खनन के मामले सामने आए है.
खनन माफिया ने राजस्व और वन विभाग (Revenue and Forest Department) की जमीन में कई जगह खनन मलबे के ढेर लगा कर वनस्पति को भी नुकसान पहुंचाया है लेकिन खनन माफियाओं पर कार्रवाई नहीं की गई, जिससे खनन माफियाओं के हौंसले बढ़ गए है और दिन रात सरकारी भूमि से करोड़ों का सेंड स्टोन चोरी कर राजस्व को चपत लगाई जा रही है और इस अवैध खनन की अफसरों को जानकारी होने के बाद कार्रवाई नहीं होना कहीं ना कहीं उनकी मिलीभगत की आशंका को भी दर्शाता है.