Rajasthan News: उत्तराखंड की तर्ज पर राजस्थान में भी सरपंचों को प्रशासक बनाने की मांग, प्रदेश सरकार पर दबाव
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Rajasthan News: उत्तराखंड की तर्ज पर राजस्थान में भी सरपंचों को प्रशासक बनाने की मांग, प्रदेश सरकार पर दबाव

उत्तराखंड सरकार ने पंचायत प्रमुखों को प्रशासक के तौर पर लगाया है. 6 महीने के लिए सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया है, जिसके बाद अब राजस्थान में सरपंचों को प्रशासक लगाने की मांग तेज हो गई है. वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार एमपी और झारखंड सरकार के फैसलों का अध्ययन करवा रही है.

Rajasthan News: उत्तराखंड की तर्ज पर राजस्थान में भी सरपंचों को प्रशासक बनाने की मांग, प्रदेश सरकार पर दबाव

Rajasthan News: उत्तराखंड सरकार ने पंचायत प्रमुखों को प्रशासक के तौर पर लगाया है. 6 महीने के लिए सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया है, जिसके बाद अब राजस्थान में सरपंचों को प्रशासक लगाने की मांग तेज हो गई है. वहीं दूसरी तरफ राजस्थान सरकार एमपी और झारखंड सरकार के फैसलों का अध्ययन करवा रही है. क्या राजस्थान में भी उत्तराखंड सरकार की तर्ज पर सरपंचों को प्रशासक लगाए जाएंगे? देखिए इस खास रिपोर्ट में!

 

 

कार्यकाल जनवरी में खत्म,अब क्या होगा?
उत्तराखंड में नवंबर में ग्राम प्रधान यानि सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो गए,जिसके बाद पुष्कर धामी सरकार ने पंचायतों प्रमुख यानी ग्राम प्रधानों को 6 महीने के लिए प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया.संभवतया देश में पहली बार ये फैसला है जब सरपंचों को प्रशासक के रूप में पंचायतों में नियुक्तियां दी है.उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में मांग उठने लगी है.राजस्थान में 40 प्रतिशत सरपंचों का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो रहा है.ऐसे में सरपंचों की मांग है कि उत्तराखंड की तरह राजस्थान में भी सरंपचों को प्रशासक नियुक्त करे.

हालांकि इससे पहले मध्य प्रदेश और झारखंड सरकार ने सरपंचों को चैयरमैन बनाकर कार्यभार दिया था,जिसके तहत पंचायतों में कमेटी बनाई गई थी,उसका अध्यक्ष सरपंचों को बनाया था.ये निर्णय कोरोना काल के समय हुआ था,लेकिन हालांकि पूरा मामला कोर्ट में चला गया था.इससे पहले सरपंचों की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी मुलाकात हो चुकी है.उनके आश्वासन के बाद ही आंदोलन को 21 नवंबर तक स्थगित कर दिया था.सरंपचों के एमपी और झारखंड की तर्ज पर निर्णय लेने की मांग है.जिसके बाद सरकार पूरे मामले का कानूनी परीक्षण करवा रही है.हालांकि इससे पहले पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर कह चुके है कि पंचायत चुनाव पर फैसला कैबिनेट को लेना है.

इन नियमों के तहत लगाया प्रशासक-
विशेष परिस्थितियों में यदि कोई नीतिगत निर्णय लिया जाना आवश्यक हो तो प्रकरण उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम 2016 की धारा 65 में निहित प्रावधान के अनुसार क्षेत्र प्रक्रिया क्षेत्र पंचायत के लिए नियत प्राधिकारी जिला मजिस्ट्रेट को किया जाएगा.नियुक्त किए गए प्रशासकों द्वारा सामान्य रूटीन कार्यों का निर्वहन किया जाएगा.नीतिगत निर्णय नहीं लिए जाएंगे.

वन स्टेट वन इलेक्शन पर चुनाव-
हालांकि सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन के बारे में विचार कर रही है.इसके लिए आने वाले विधानसभा सत्र में सरकार बिल भी ला सकती है.यदि राज्य में वन स्टेट वन इलेक्शन की तर्ज पर चुनाव हुआ तो निकाय और पंचायत चुनाव राज्य में एक साथ होंगे.यदि ऐसा हुआ तो फिर 2026 में ही पंचायत-निकाय चुनाव संभव है.

 

 

 

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