National Military School: भारत के ज्यादातर स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वह आगे चलकर उनकी सरकारी नौकरी लग जाए. इसके लिए वो दिनरात मेहनत भी करते हैं.जिसके साथ ही महंगे से महंगे कोचिंग लेते हैं.
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National Military School: भारत के ज्यादातर स्टूडेंट्स का सपना होता है कि वह आगे चलकर उनकी सरकारी नौकरी लग जाए. इसके लिए वो दिनरात मेहनत भी करते हैं.जिसके साथ ही महंगे से महंगे कोचिंग लेते हैं. लेकिन कुछ ही ऐसी स्टूडेंट्स होते हैं जिनके सपने पूरे हो पाते हैं. राजस्थान के अजमेर जिले में एक स्कूल है, जिस स्कूल को सरकारी नौकरी पाने की मशीन भी कहा जाता है.
सरकारी नौकरी की गारंटी
अजमेर के इस स्कूल के बच्चे देश में बड़ी पोस्ट पर बैठकर देश की सेवा में लगे हैं. यहां बात हो रही है किंग जॉर्ज रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल की. जिस स्कूल को सरकारी नौकरी का ही स्कूल कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक अब इस स्कूल का नाम बदलकर नेशनल मिलिट्री स्कूल कर दिया गया है.
नेशनल मिलिट्री स्कूल के प्रिंसिपल कैप्टन डब्ल्यू एल क्लार्क रह चुके हैं. इसी स्कूल के अनवर अली खान और नवाब अली खानफर्स्ट बैच के स्टूडेंट रह चुके हैं. आपको शुरूआत के कई साल यहां सिर्फ लड़कों को पढ़ाया जाता था. लेकिन 2022 से यहां पर लड़कियों को भी तैयार किया जाता था.
यह हैं यहा के शानदार स्टूड़ेट
आपको बता दें कि इस स्कूल के बच्चे इस वक्त काफी उची पदो पर बैठे हुए हैं. इसमें अजीत डोभाल, जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत, लेफ्टिनेंट जनरल बलजीत सिंह, मेजर जनरल दलवीर सिंह, मेजर जनरल विक्रम पुरी,मेजर जनरल रिशाल सिंह, एयर वाइस मार्शल संजीव कपूर, लेफ्टिनेंट जनरल एस.एन.हांडा, लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर सिंह, रियर एडमिरल साई वैंकट रमन जैसे ऑफिसर शामिल हैं.
अलवर के इस स्कूल ने शानदार रिकॉर्ड बना रखा है. इस स्कूल का इतिहास 93 साल पूराना है. इस स्कूल ने अभी तक दस हजार से अधिक ऑफिसर दे चुका है. साथ ही 12 से ज्यादा लेफ्टिनेंट जनरल, 20 से ज्यादा मेजर जनरल, 70 मेजर, ब्रिगेडियर आदि इस स्कूल ने दिए हैं.
हर वर्ष यह स्कूल बीस से पच्चीस आर्मी आफिसर देता है. देश के लाखों पेरेंट्स का सपना होता है कि वो अपने बच्चों को इस स्कूल मे भेजे.