नारायणपुर वैसे तो तालवृक्ष ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा है, लेकिन यहां पर अनेक स्थान और शिव मंदिर हैं, जहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जहां पर जाकर भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.
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Bansur: नारायणपुर वैसे तो तालवृक्ष ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा है, लेकिन यहां पर अनेक स्थान और शिव मंदिर हैं, जहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जहां पर जाकर भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. मनवांछित फल पाते हैं. उन्हीं में से एक है, तालवृक्ष स्थित भूतेश्वर महादेव. अलवर नारायणपुर मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर दूर और नारायणपुर उपखण्ड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर तालवृक्ष धाम स्थित है. पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों ही रुप से इस स्थान का विशेष महत्व है.
तालवृक्ष में सात फीट ऊंचा शिवलिंग भक्तों का आकर्षण का केंद्र है. यह शिवलिंग अति प्राचीन है. इस शिवलिंग को भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. प्रतिवर्ष आने वाले श्रावण माह पर भक्तों का यहां सैलाब जलाभिषेक करने के लिए उमड़ता है. इस दिन घंटों तक भक्तों को जलाभिषेक करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है.
तालवृक्ष जनश्रुतियों के अनुसार तालवृक्ष मांडव ऋषि की तपोस्थली रहा है. इस स्थान पर ताल अर्जून और खजूर के वृक्ष बहुतायत में होने के कारण तालवृक्ष कहा जाता है. इस धाम के समिप स्थित है गांव मुण्डावरा जिसका नाम माण्डव ऋषि के नाम पर ही पड़ा है. यह स्थान महाभारत से भी जुड़ा है. किंवदंती है कि महाभारत काल में पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने हथियारों को तालवृक्ष में ताल के विशाल और ऊंचे वृक्षों में छुपा दिया था. यहां से विराटनगर जाकर विराट नरेश की सेवा की. यहां पर गर्म पानी और ढण्डे पानी के कुण्ड भी हैं.
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