अलवर के औद्योगिक क्षेत्र में ESIC मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थापना की गई. सुपरस्पेशलिटी इस हॉस्पिटल के निर्माण में करीब 850 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये गए लेकिन एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का बढ़ता असर भी देखा जा रहा है.
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Alwar: अलवर के औद्योगिक क्षेत्र में करीब 850 करोड़ की लागत से बना ESIC मेडिकल कॉलेज के स्टाफ के साथ मरीजों और उनके परिजनों का आसपास इंडस्ट्रीज से बढ़े प्रदूषण के चलते अब दम घुटने लगा है. प्रबंधन ने उच्च स्तर पर इस मामले में ध्यान दिए जाने की गुहार लगाई है. वहीं मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के जगह के चयन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
अलवर के औद्योगिक क्षेत्र में ESIC मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थापना की गई. सुपरस्पेशलिटी इस हॉस्पिटल के निर्माण में करीब 850 करोड़ रु से ज्यादा खर्च किये गए लेकिन एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का बढ़ता असर भी देखा जा रहा है. औद्योगिक क्षेत्र में चल रहे ESIC मेडिकल कॉलेज के चारों तरफ चल रही मार्बल व पाउडर की फैक्ट्रियों से बढ़ रहे प्रदूषण से अस्पताल में आने वाले परिजनों व मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज के डीन नन्द किशोर अल्वा ने बताया कि यहां आने वाले हजारों की संख्या में स्टाफ व मरीज और परिजन इस प्रदूषण से परेशान रहते हैं. यहां उड़ने वाली डस्ट भी कई बीमारियों को जन्म दे रही है.
इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के डीन नंदकिशोर अल्वा ने मुख्यमंत्री तक अपनी फरियाद लगाई है और उनसे व्यक्तिगत रूप से भी मिले हैं. उन्होंने बताया कि इस कॉलेज के औद्योगिक क्षेत्र में रहने से यहां प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है .यहां लगी फैक्ट्रियों से डस्ट और धुंआ लगातार निकलता रहता है जो मरीजों के साथ-साथ स्टाफ व उनके साथ आने वाले अटेंडेंट को भी काफी परेशान करता हैं. उन्होंने कहा कि यहां करीब 1000 से अधिक का मरीजों का आउटडोर है .
स्टाफ व मरीज और परिजनों के साथ यहां रोजाना करीब 4000 से 5000 लोग अस्पताल में आते हैं. यहां उड़ने वाला धुंआ व डस्ट बहुत परेशान करते हैं. उन्होंने बताया कि इस संबंध में वह जिला कलेक्टर से भी मिले हैं और मुख्यमंत्री से भी मिले हैं .फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए की टेस्टिंग के लिए उन्होंने निर्देशित किया है, हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर अब औद्योगिक क्षेत्र में आसपास सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है जैसे डस्ट ना उड़े , उन्होंने बताया कि ऐसा करने से धूल उड़ना तो कम हो गया है लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं है.
उन्होंने सुझाव दिया कि यहां के स्टोन क्रेशर से जुड़ी इकाइयों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाए तो काफी बचाव होगा. इसके अलावा उन्होंने बताया कि एक प्रोग्राम तैयार किया जा रहा है ग्रीन मेडीको प्रोग्राम , जिसमें प्लांटेशन किया जाएगा. इस प्लांटेशन के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र में उड़ने वाला धुआं और डस्ट से काफी राहत मिलने की संभावना है लेकिन वर्तमान में प्रदूषण से बचाव की बहुत जरूरत है. क्योंकि पौधों को बड़ा होने में 4 से 5 साल लगते हैं
लेकिन इस मामले में पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंहल ने आरोप लगाए है ESIC मेडिकल कॉलेज की जगह का ही चयन गलत जगह पर किया गया. यहां स्थापित करने से पहले न तो क्षेत्र का एक्यूआई मापा गया न ही आस पास चल रही फैक्ट्रियों के बारे में विचार किया गया. इस जगह के चयन को लेकर तत्कालीन सांसद ,विधायक व प्रशासनिक अधिकारियों की गलती रही ,जबकि फैट्रियां यहां पहले से चल रही हैं. इस मामले में गलती जिसकी भी रही हो फिलहाल इस समस्या का समाधान दूर दूर नजर नहीं आ रहा है.
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