Rajgarh: मास्टर प्लान की भेंट चढ़े मकान और दुकान, लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट
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Rajgarh: मास्टर प्लान की भेंट चढ़े मकान और दुकान, लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट

सावों को देखते हुए दुकानदारों ने अपनी दुकानों में सामान भर लिया था और उन सामानों को तुड़े की तरह घरों में भरकर रखना पड़ा है. एक ओर जहां उनकी दुकाने चली गई, वहीं बेचने के लिए लाया गया समान भी बेकार हो रहा है. 

सराय बाजार में चला बुलडोजर.

Rajgarh-Laxmangarh: मास्टर प्लान में विकास को बढ़ावा देने के नाम पर कस्बे के सराय बाजार में बुलडोजर चलाकर की गई कार्रवाई के चलते परिवारों के सामने अब रहने के साथ रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है, जिन लोगों के घर और दुकान दोनों पर बुलडोजर चला वे गए हैं, अब किराए के मकान में शरण लिए हुए हैं. 

सावों को देखते हुए दुकानदारों ने अपनी दुकानों में सामान भर लिया था और उन सामानों को तुड़े की तरह घरों में भरकर रखना पड़ा है. एक ओर जहां उनकी दुकाने चली गई, वहीं बेचने के लिए लाया गया समान भी बेकार हो रहा है. 

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सराय बाजार निवासी जनरल स्टोर चलाने वाली रेणुका ने भरे गले से रोते हुए बताया कि उनका रहने कमाने एक ही जगह थी. उसी में रहने का मकान और दुकान दोनों ही छिन गए. यहां तक कि अब सर ढकने की छत भी चली गई. इसके बाद किराए मकान में रहने लगे है. उसने बताया कि उसके दो बच्चे हैं और उनका भी भविष्य अंधकार में है. उन्होंने बताया कि उनके पास मकान के सभी कागजात है, लेकिन किसी ने उन्हें नही देखा. 

कुंड मोहल्ला निवासी संतोष शर्मा ने बताया कि उसकी सराय बाजार में 29 वर्ष पुरानी दुकान थी. वही उसकी आजीविका का एकमात्र स्रोत था. वो दुकान भी मास्टर प्लान की भेंट चढ़ गई. उन्होंने बताया कि वो परिवार में 4 सदस्य हैं. अब रोज खाने के भी लाले पड़ गए है. उन्होंने बताया कि दो साल कोरोना में चले गए अब तोड़ा उभरे तो अब मास्टर प्लान के बर्बाद कर दिया. समझ नहीं आ रहा की बच्चो को कैसे पढ़ाएंगे और कैसे शादी-विवाह होंगे. 

राजेश मुखिया ने बताया कि उनके दादा को 1956 में सरकार द्वारा दुकान अलॉट हुई थी. उनकी किराना की दुकान से ही परिवार का खर्चा चलता था. उनके परिवार में 5 सदस्य हैं. सराय बाजार निवासी गीता पत्नी योगेश ने बताया कि 35 साल शादी कर आए हुए हो गए दुकान के ऊपर ही रहने का कमरा था. पति केवल दुकान पर रस्सी बेचने का कार्य करते और कोई दूसरा कार्य नहीं है. मकान के सभी कागजात मौजूद है, फिर भी बेघर कर दिया. यह कहा न्याय है. इसी से पालन पोषण हो रहा था अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है. किराए के मकान में रह रहे हैं, जब शाम को खाने के लाले पड़े है तो अब किराया कैसे दिया जाएगा. उन्होंने प्रशासन से उन्हें रहने की जगह और मुआवजा दिलाये जाने की मांग की है. 

नगर पालिका ईओ डॉ बी एल मीणा ने बताया कि मास्टर प्लान के अंदर जितनी नई और पुरानी बसावट होती है सबको दर्शाया जाता है और जो पुरानी बसावट होती है उसके भी मार्ग अधिकार उसमें उपयोग जो हो रहे हैं उसको भी दर्शाया जाता है. यह जो रोड था यह मास्टर प्लान में ऐडजेस्टिग ही दर्शाया गया था. यह पहले से ही 60 फीट विद्यमान थी और मौके पर उपयोग हो रही थी. 

उस मास्टर प्लान के अनुसार, नगर पालिका लेआउट प्लान पास करती है और लेआउट प्लान का अनुमोदन करती है, जिनको रोड को फेसिलिटी एरिया में शामिल किया जाता है. उनमें भी इन कॉलोनियों का लेआउट पास किया गया था, उसमें 60 फिट रोड का फेसिलिटी एरिया के रूप में अनुमोदित कराया गया था. मास्टर प्लान के अनुरूप ही इनका अनुमोदन कर दिया गया. ऐसे में कहीं कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है. मास्टर प्लान की कंप्लायंस करवाना आवश्यक हो जाता है इसलिए इसको 60 फीट का रख के मास्टर प्लान की कम्प्लाइन्स कराई गई है. 

मास्टर प्लान से पहले की बसावट को लेकर उन्होंने कहा कि यहां पर ऐसा नहीं है. बता दें कि जब मास्टर प्लान बना उसके बाद में नगरपालिका को जोनल प्लान बनाने होते हैं, लेकिन एक लाख से कम आबादी के शहर हैं. उनके अंदर नगर पालिका को लेआउट प्लान बनाने होते हैं. मास्टर प्लान के लैंड यूज के अनुसार, उनको हमने बनाया और पास किया और उसमें इस रोड को 60 फीट का शो किया और इसको अप्रूवल करवाया. 

Reporter- Jugal Kishor Gandhi

 

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