जोधपुर जिले के ओसियां विधानसभा क्षेत्र से बड़ी खबर. दिव्या मदेरणा को इस सीट से हार गई. भाजपा के भैराराम चौधरी ने वर्तमान विधायक दिव्या मदेरणा को हरा दिया है.
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Osiain Vidhan Sabha Chunav Result 2023: जोधपुर जिले के ओसियां विधानसभा क्षेत्र से बड़ी खबर. दिव्या मदेरणा इस सीट से हार गई. भाजपा के भैराराम चौधरी ने वर्तमान विधायक दिव्या मदेरणा को हरा दिया है.
दिव्या मदेरणा पूर्व दिग्गज नेता परशुराम मदेरणा की पोती और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की बेटी हैं. दिव्या मदेरणा करीब 3 हजार वोटों से हार गई हैं. भाजपा के भैराराम चौधरी को 1,99,976 वोट मिले. वहीं दिव्या मदेरणा को खाते में 99 हजार 976 वोट आए. तीसरे नंबर पर रहे निर्दलीय उम्मीदवार सोहनराम को महज 1273 वोट मिले हैं.
ओसियां विधानसभा सीट मारवाड़ क्षेत्र के जोधपुर जिले की सबसे हॉट सीट में से एक है. यहां साल 2018 में कांग्रेस की दिव्या मदेरणा ने जीत दर्ज की थी, 2023 के विधानसभा चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस की दिव्या मदेरणा बनाम भाजपा के भैराराम चौधरी के बीच है. 2023 में इस सीट पर 78.43 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से 0.29 फीसदी बढ़ा है, पिछले चुनाव में यहां 78.14 प्रतिशत मतदान हुआ था.
2018 के विधानसभा चुनाव में एक बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने थी, कांग्रेस ने मदेरणा परिवार की अगली पीढ़ी पर ही दांव खेलते हुए दिव्या मदेरणा को अपना उम्मीदवार बनाया. दिव्या मदेरणा के कंधों पर अपने दादा और पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती थी, तो वहीं बीजेपी की ओर से भैराराम चौधरी उम्मीदवार बने. हालांकि पहली बार चुनाव लड़ रही दिव्या मदेरणा की बड़े अंतर से जीत हुई और वह ओसियां के सियासी इतिहास की पहली महिला विधायक चुनी गई.
ओसियां विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा चार बाग कांग्रेस के नेता नरेंद्र सिंह भाटी ने जीत हासिल की. नरेंद्र सिंह भाटी 1980 से 1990 तक लगातार 10 साल विधायक रहे. इसके बाद नरेंद्र सिंह भाटी ने 1993 और 1998 का भी विधानसभा चुनाव जीता और वह ओसियां के विधायक के रुप में विधानसभा पहुंचे. जबकि रंजीत सिंह तीन बार विधायक बने. रंजीत सिंह ने 1967 में पहली बार विधायकी हासिल की. इसके बाद वह लगाता दो बार और जीते और 1980 तक विधायक रहे, जबकि परसराम मदेरणा 1957 से लेकर 1967 तक विधायक रहे. जबकि राम नारायण विश्नोई, बन्ने सिंह और भैराराम चौधरी ओसियां सीट से एक-एक बार विधायक चुने गए. जबकि भोपालगढ़ से विधायक रहे महिपाल मदेरणा भी यहां से एक बार विधायक चुने गए.
राजस्थान के बड़े सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली दिव्या मदेरणा की इमेज पिछले 5 सालों में एक तेजतर्रार विधायक के रुप में बनी है. दिव्या मदेरणा कई बार अपनी ही पार्टी को घेरती नजर आई हैं. पिछले दिनों उनकी इसी रुआब के चलते प्रदेश प्रभारी ने उन्हें तलब कर जवाब भी मांगा था. हालांकि बाद में प्रदेश प्रभारी ने यह भी कहा था दिव्या ने कभी भी पार्टी के खिलाफ बयान नहीं दिया है. वहीं आरएलपी प्रमुख और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल से भी तकरार को लेकर दिव्या मदेरणा सुर्खियों में बनी रहती है. वक्त बेवक्त दोनों नेताओं के बीच सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक तीखी बयानबाजी देखने को मिल जाती है.
ओसियां विधानसभा सीट पर सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड रंजीत सिंह राठौड़ के नाम पर दर्ज है. 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते रणजीत सिंह राठौड़ ने 22,841 वोटों से के अंतर से स्वराज पार्टी के रतन सिंह को चुनावी शिकस्त दी थी, जबकि इसके कुछ सालों बाद ही ओसियां की जनता ने सबसे कड़ा मुकाबला भी देखा. यह मुकाबला था, 1990 के विधानसभा चुनाव का. इस चुनाव में राम नारायण विश्नोई वर्सेस नरेंद्र सिंह भाटी देखने को मिला. जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़ रहे नारायण सिंह विश्नोई को 32,484 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह भाटी को 32,405 वोट मिले यानी जीत और हार का अंतर महज 79 वोटों का था. यह चुनाव ओसियां चुनावी इतिहास में सबसे कम अंतर से जीत के रूप में दर्ज हो गई.