बारां: राजस्थान के भंवरगढ़ कस्बे सहित क्षेत्र के कई गांवों के प्रमुख सिंचाई स्रोत बिलासी बांध के माइनर नंबर 3 की दीवार टूट कर गिर जाने के कारण लाखों लीटर पानी बह गया. वहीं, इसके कारण आसपास के खेतों में जलभराव की समस्या भी आ खड़ी हुई है.
बिलासी बांध की मुख्य नहर एवं माइनरों के जीर्णोद्धार पुनर्निर्माण का काम सही तरह से काम नहीं करने के कारण इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. जिसके कारण बहुमूल्य पानी व्यर्थ बह रहा है. वहीं, किसानों के खेतों में पानी के कारण फसलें खराब होने के कगार पर है.
साथ ही फसल खराबे के बाद ग्रामीणों ने अविलंब माइनर नंबर 3 की क्षतिग्रस्त दीवार को ठीक करवाने की मांग सिंचाई विभाग के अधिकारियों से की है. किसानों का कहना है कि अगर यह दीवार सिंचाई विभाग ने पहले कर दी होती आज उनकी फसल का इतना नुकसान नहीं होता.
वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के जालोर में सिंचाई के पानी के लिए पिछले 23 दिनों से कड़ाके की सर्दी में धरने पर बैठै हैं. 3 दिसंबर से नर्मदा नहर से सिंचाई के लिए पानी की मांग के साथ 5 गांवों का धरना जारी बना हुआ है. 23 वें दिन भी सैकड़ों किसान धरने पर डटे रहे. लगातार सर्दी में तापमान गिर रहा है और कड़ाके की ठंड में रात में भी अलाव के सहारे किसान मेघावा में नर्मदा मुख्य नहर पर बैठे हुए हैं.
चितलवाना उपखण्ड के पांच गांव (मेघावा, मणोहर, वीरावा, कुंडकी व अगड़ावा) नर्मदा मुख्य नहर के अनकमाण्ड क्षेत्र में है जिन किसानों की बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम पर लेकर इनके खेतों के बीच मे से नहर निकालकर खेतों को अधिगृहित कर लिया. खेत के बीच में से नहर निकलने से खेत को भी दो टुकड़ो में बांट दिया. उस समय किसानों ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि किसानों ने सोचा कि नर्मदा का मीठा पानी मिलेगा. उस मीठे पानी मिलने से अच्छी फसल होगी उससे इस नुकसान की भरपाई भी हो जाएगी.
लेकिन ग्रामीणों की मानें तो सरकार ने इन किसानों के साथ ऐसा होने नहीं दिया. इन किसानों की भूमि असिंचित क्षेत्र में है जिसके कारण अभी इस क्षेत्र के किसान नहर में से एक लीटर पानी भी नहीं ले पाएंगे. किसान अपने खेतों को सिंचित क्षेत्र में शामिल करवाने के लिए गत 23 दिन से धरने पर है किसान दिन-रात धरने पर बैठे हैं. लेकिन अभी तक न तो नर्मदा के अधिकारियों ने इन किसानों की सुध ली है और न ही सरकार ने इन किसानों के हालात की जानकारी ली है.