6 भाईयों में पांच तीसरी कक्षा तक भी नहीं पढ़े, लेकिन सबसे छोटे ने रचा इतिहास, मिला 14 लाख का पैकेज
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6 भाईयों में पांच तीसरी कक्षा तक भी नहीं पढ़े, लेकिन सबसे छोटे ने रचा इतिहास, मिला 14 लाख का पैकेज

कभी-कभी मेहनत और कुछ करने का जज्बा सभी के सामने ऐसे विरले उदाहरण पेश कर देते हैं, जिन्हे देख कर हर कोई हैरत में पड़ जाता है. आज हम आपकों ऐसी ही एक कहानी से रूबरू करवा रहे हैं, जिसने भारत पाक बॉर्डर के रेतीले धोरों से निकल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

भारत-पाक बॉर्डर के रेतीले धोरों से निकल कर रुखमण ने गाड़े सफलता के झंडे

Chohtan: कभी-कभी मेहनत और कुछ करने का जज्बा सभी के सामने ऐसे विरले उदाहरण पेश कर देते हैं, जिन्हे देख कर हर कोई हैरत में पड़ जाता है. आज हम आपकों ऐसी ही एक कहानी से रूबरू करवा रहे हैं, जिसने भारत पाक बॉर्डर के रेतीले धोरों से निकल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

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आज इस प्रतिभा को कोल इंडिया ने 14 लाख का पैकेज देकर अपना हिस्सा बनाया है. रेत के दरिया में टापू सरीखा नजर आने वाला बाड़मेर जिले के भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा जाटों का कुआं. एहसान का तला ग्राम पंचायत के इस गांव के युवा रुखमण सारण की सफलता की चर्चा आज हर तरफ है. सारण के कुल 6 भाई हैं और पांच भाई स्कूल में कक्षा तीसरी तक भी नहीं पहुंचे.

वहीं रुकमण सारण ने पढ़ लिख कर कुछ करने का जज्बा और अपने परिवार व गांव का नाम रोशन करने का सपना संजोए हुए इसने अपनी तालीम को जारी रखा. इसी की बदौलत इसका चयन विश्व की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड में मैनेजमेंट ट्रेनी पद पर हुआ है. आई आई टी मुंबई द्वारा आयोजित GATE 2021 के आधार पर इंजीनियर रुखमण सारण की ऑल इंडिया रैंक 68 आई, यहीं वजह है कि कोल इंडिया ने इसे 14 लाख का पैकेज दिया है.

बाड़मेर के सीमावर्ती क्षेत्र जाटों का कुआं एहसान का तला के एक किसान परिवार से नाता रखने वाले रुखमण सारण ने अपनी शुरुआती तालीम अपने गांव में की और फिर जिला मुख्यालय पर किसान छात्रावास में 12 की पढ़ाई पूरी करने के बाद बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर से 2020 में माइनिंग ब्रांच से की. उसके तत्पश्चात उन्होंने कुछ समय वेदांता ग्रुप में काम किया और अब उसकी मेहनत व प्रतिभा को कोल इंडिया लिमिटेड को माइनिंग इंजीनियरिंग ब्रांच में नजर आएगी. अपने बेटे की सफलता पर उसके पिता को बेहद नाज है.

रेतीले बाड़मेर के छोटे से गांव की पग डंडियों से निकल कर देश की अग्रणी कंपनी का हिस्सा बने रुकमण सारण अपनी इस सफलता का राज खुद पर विश्वास और तालीम से निरंतर सेल्फ स्टडी को देते हैं. खुद के कुछ कर दिखाने के जज्बे ने आज इस युवा को आम भीड़ से निकाल कर खास बना दिया है. अब यह युवा भारत पाक बॉर्डर स्थित जाटों का कुआं गांव में शिक्षा की सुविधाओं को बढ़ाने की सरकार से मांग कर रहा है, ताकि रुकमण के जैसी अन्य कई प्रतिभाएं आगे बढ़ सके.

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