कौन है तनसिंह जी, जो राजपूत समाज के लिए बने पुरोधा, जिनके नाम पर भाजपा-कांग्रेस हो जाती है एक
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कौन है तनसिंह जी, जो राजपूत समाज के लिए बने पुरोधा, जिनके नाम पर भाजपा-कांग्रेस हो जाती है एक

TanSingh Ji : श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक पूज्य तनसिंह जी की आज 99वीं जयन्ती हैं. उन्होंने 1952 के आमचुनावों में मात्र 28 वर्ष की आयु में बाड़मेर से राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए. उस विधानसभा में कुछ समय के लिए संयुक्त विपक्ष के नेता भी रहे. 

कौन है तनसिंह जी, जो राजपूत समाज के लिए बने पुरोधा, जिनके नाम पर भाजपा-कांग्रेस हो जाती है एक

TanSingh Ji : श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक पूज्य तनसिंह जी की 99वीं जयन्ती युवा नेता आजाद सिंह राठौड़ के बाड़मेर स्थित कार्यालय में मनाई गई. जिसमें बाड़मेर के सर्वसमाज के गणमान्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम में पूज्य श्री तन सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कर्म को ही जीवन व अकर्मण्यता को मृत्यु मानने वाले, जीवन की ठोकरों और परीक्षा को अपना सौभाग्य मानने वाले, समाज के लिए जीवन, गौरव व सम्मान जुटाने के लिए अपने अनोखे साधना कुटुम्ब श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना करने वाले पूज्य तनसिंह जी का जन्म 25 जनवरी 1924 तद्नुसार माघ कृष्णा चतुर्थी को अपने ननिहाल बैरसियाला (जैसलमेर) में हुआ.

उनके पिता बाड़मेर के रामदेरिया गांव के ठाकुर बलवंत सिंह महेचा एवं ममतामयी माता मोतीकंवर जी सोढ़ा थीं. उनके जन्म के लगभग 4 वर्ष बाद ही उनके पिताजी का देहावसान हो गया. छठी कक्षा तक बाड़मेर पढने के बाद 1938 ई. में मात्र 14 वर्ष की आयु में तनसिंह जी ने जोधपुर स्थित चौपासनी विद्यालय में प्रवेश लिया. मैट्रिक तक की पढाई चौपासनी में की और 1942 ई. में अपने घर से लगभग 600 किमी. दूर झुंझूनूं जिले के पिलानी कस्बे में स्थित बिरला कॉलेज में अध्ययन के लिए गए.

पूज्य तन सिंह जी ने यहां से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण कर 1946 ई. में नागपुर गये और वहां से वकालात की पढाई पूर्ण की. बाड़मेर आकर वकालात प्रारंभ की एवं 1949 ई. में बाड़मेर नगर पालिका के प्रथम अध्यक्ष के रुप में निर्वाचित हुए. 1952 के आमचुनावों में मात्र 28 वर्ष की आयु में बाड़मेर से राजस्थान की प्रथम विधानसभा के लिए विधायक चुने गए. उस विधानसभा में कुछ समय के लिए संयुक्त विपक्ष के नेता भी रहे. 1957 में पुनः विधायक चुने गए. 1962 में बाड़मेर-जैसलमेर जैसे संसार के सबसे बडे़ निर्वाचन क्षेत्र से मात्र 9000 रु. खर्च कर सांसद निर्वाचित हुए. 1967 का चुनाव हार गए तब स्वयं का व्यवसाय प्रारंभ किया एवं साथ ही अपने अनेक साथियों को रोजगार उपलब्ध करवाया. 1977 में पुनः सांसद चुने गए एवं 1979 की 7 दिसंबर को आपकी लौकिक देह का देहावसान हो गया.

कार्यक्रम में समाजसेवी वरिष्ठ अधिवक्ता बलवंत सिंह चौधरी, धनाऊँ प्रधान शम्मा बानो, रावणा राजपूत समाज अध्यक्ष गोरधन सिंह, मुसलिम इंतज़ामिया कमेटी के हारूण कोटवाल, नवल किशोर लीलावत, गोस्वामी समाज अध्यक्ष खेतगिरी, जाँगिड समाज उपाध्यक्ष मदन लाल, समाजसेवी भूराराम भील, दलित विचारक भँवर लाल जेलिया , सोकत सेख , फकीरा खान सहित प्रबुद्ध जनों अपने विचार व्यक्त पूर्व सांसद तन सिंह को याद किया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा व शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन जालम सिंह मीठडा ने किया.

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