world eye donation day: नेत्रदान से चेहरे में विकृति नहीं आती, सिर्फ रोशनी वाली काली पुतली ली जाती है
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world eye donation day: नेत्रदान से चेहरे में विकृति नहीं आती, सिर्फ रोशनी वाली काली पुतली ली जाती है

world eye donation day: विश्व दृष्टि दिवस पर जिला चिकित्सालय के नेत्र विभाग में जनचेतना कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान ओपीडी में चिकित्सकों व नेत्र सहायक द्वारा 102 मरीजों के आंखों की स्क्रीनिंग कर जांच की गई.

 

world eye donation day: नेत्रदान से चेहरे में विकृति नहीं आती, सिर्फ रोशनी वाली काली पुतली ली जाती है

world eye donation day: विश्व दृष्टि दिवस पर जिला चिकित्सालय के नेत्र विभाग में जनचेतना कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान ओपीडी में चिकित्सकों व नेत्र सहायक द्वारा 102 मरीजों के आंखों की स्क्रीनिंग कर जांच की गई. विश्व दृष्टि दिवस पर जिला चिकित्सालय के नेत्र विभाग में जनचेतना कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान ओपीडी में चिकित्सकों व नेत्र सहायक द्वारा 102 मरीजों के आंखों की स्क्रीनिंग कर जांच की गई. इस अवसर पर जिला चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ बीएल मसूरिया ने कहा कि आंख किसी व्यक्ति के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है और अगर वही नहीं है तो व्यक्ति का जीवन किसी काम का नहीं. नेत्रहीन लोगों की मदद के लिए अधिक से अधिक नेत्रदान कराने के लिए संस्थाओं और जिम्मेदार लोगों को आगे आने की जरूरत है. डा मसूरिया ने नहीं होती पूरी आंख ट्रांसप्‍लांट के बारे में बारीकी से जानकारी देते हुए कहा कि नेत्रदान को लेकर लोगों में भ्रांतियां व्याप्त है. 

वर्तमान में, केवल कॉर्निया और स्‍क्‍लेरा का उपयोग ट्रांसप्‍लांटेशन के लिए किया जाता है न कि पूरी आंख का. कॉर्निया एक ट्रांसप्‍लांट परत है, जो आंख के अगले हिस्‍से को कवर करता है और स्‍क्‍लेरा आंख का सफेद भाग है. रोशनी वाली सफेद परत कॉर्निया ही बदली जाती है. जिसकी वजह से चेहरे के रूप रंग आकार में किसी भी तरह की विकृति नही आती. नेत्र रोग विशेषज्ञ डा दिलीप मीना ने बताया कि मृत्यु के बाद एक व्यक्ति चार लोगों को रोशनी दे सकता है. पहले दोनों आंखों से केवल दो ही कार्निया मिलती थी.
 
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लेकिन अब नई तकनीक आने के बाद से एक आंख से दो कार्निया प्रत्यारोपित की जा रही हैं. डा मीना ने बताया कि डीमैक तकनीक से होने वाला यह प्रत्यारोपण शुरू हो गया है. खास बात यह है कि व्यक्ति के मरने पर उसकी पूरी आंख नहीं बदली जाती है. केवल रोशनी वाली काली पुरानी ही ली जाती है. जिसे मृत्यु के छह घंटे की भीतर ही लेना आवश्यक होता है. डा राजेंद्र सिंह धांधू ने कहा कि बच्चों को फास्टफूड की जगह अंकुरित अनाज ही खाना चाहिए. देर रात तक जागना, पर्याप्त नींद न लेना, आंखों के लिए नुकसानदायक होता है.

 

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