Aditya-L1: 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी53 रोकेट से अंतरिक्ष में इसरो के जरिए छोड़ा गया था. ISRO ने सूरज की स्टडी के लिए Aditya सोलर ऑब्जरवेटरी को भेजा था,
Trending Photos
Aditya-L1: 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी53 रोकेट से अंतरिक्ष में इसरो के जरिए छोड़ा गया था. जो 6 जनवरी 2024 की शाम, लगभग 4 बजे के आसपास अपनी निर्धारित कक्षा L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. इसको लेकर कुछ दिनों पहले, ISRO चीफ S. Somanath ने बताया था कि 6 जनवरी को यह कार्य होगा, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समय नहीं बताया था. इसरो चीफ ने कहा कि समय तो नहीं बता सकते, लेकिन 6 को L1 प्वाइंट पर आदित्य पहुंचेगा.
क्यो भेजा था अंतरिक्ष में
ISRO ने सूरज की स्टडी के लिए Aditya सोलर ऑब्जरवेटरी को भेजा था, जो 6 जनवरी 2024 को L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया कि 6 को आदित्य को एल-1 प्वाइंट में इंसर्ट करेंगे. आदित्य-एल1 मिशन की सफलता का पहला सबूत कुछ दिन पहले ही मिला था.
इस सैटेलाइट के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) ने सूरज की पहली बार फुल डिस्क तस्वीरें ली थीं, जिनमें 200 से 400 नैनोमीटर वेवलेंथ की तस्वीरें शामिल थीं, जिससे सूरज 11 अलग-अलग रंगों में दिखेगा. इस पेलोड को 20 नवंबर 2023 को ऑन किया गया था, और इस टेलिस्कोप ने सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें ली हैं.
फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर का मतलब है
सूरज की सतह और बाहरी वायुमंडल कोरोना के बीच की पतली परतें. फोटोस्फेयर सूरज की सतह से होती है, जबकि क्रोमोस्फेयर सूरज की सतह से 2000 किलोमीटर ऊपर तक होती है.
क्या हैलैरेंज प्वाइंट
लैरेंज प्वाइंट, जिसे L1 कहा जाता है, गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज के नाम पर इसे रखा गया है, यह एक ऐसा बिंदु है जहां दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुएं ग्रेविटेशनल फ़ोर्स के बिना स्थिर रहती हैं. आदित्य-L1 मिशन में, यह बिंदु धरती और सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्तियों से बचेगा.
Aditya-L1 भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी है जो सूरज से दूर तक पहुंचेगी, ताकि उसे गर्मी हो, लेकिन नुकसान न हो. इस मिशन का उद्देश्य सौर तूफानों, सौर लहरों, गर्मी, और गर्म हवाओं का अध्ययन करना है, जिससे वैज्ञानिक सूरज की स्टडी को बेहतर समझ सकें.
आदित्य-L1 स्पेस्क्राफ्ट का कार्य:
सौर तूफानों के आने का कारण, उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है.
सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा.
सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा.
सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा.
सूरज की स्टडी क्यों जरूरी है:
सूरज हमारा तारा है, जिससे हमारे सौर मंडल को ऊर्जा मिलती है.
इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल मानी जाती है, और बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन आसान नहीं है.
सूरज की ग्रैविटी के कारण ही सभी ग्रह इस सौर मंडल में टिके होते हैं.
सूरज का केंद्र, यानी कोर, में न्यूक्लियर फ्यूजन होता है, जिससे सूरज चारों ओर आग उगलता हुआ दिखता है.
सूरज की स्टडी इसलिए जरूरी है ताकि हम सौर मंडल के बाकी ग्रहों को भी समझा जा सकें.
सूरज की वजह से लगातार धरती पर रेडिएशन, गर्मी, मैग्नेटिक फील्ड, और चार्ज्ड पार्टिकल्स का बहाव होता है, जिसे हम सोलर हवा या सोलर विंड कहते हैं, और इसका मौसम सूरज की वजह से बनता और बिगड़ता है.
सोलर मैग्नेटिक फील्ड भी इसके माध्यम से पता चलता है, जो बेहद विस्फोटक होता है.
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के कारण आने वाले सौर तूफान से धरती को कई तरह के नुकसान की आशंका रहती है, और इसलिए अंतरिक्ष के मौसम को जानना जरूरी है.