एक वक्त था जब बेटी को लोग बोझ मानते थे. बेटियों के जन्म पर न कोई उत्सव होता था और न कोई खुशी मनाई जाती थी. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. सोच बदल रही है. समाज बदल रहा है. अब बेटी वरदान के रूप में परिवार का अंग बन रही हैं. ऐसा ही एक उदाहरण कोठाज गांव में देखने को मिला जहां 6 साल बाद सुथार परिवार में एक बेटी ने जन्म लिया, तो परिवार जनो के खुशी का ठिकाना नही रहा.
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Jahazpur : एक वक्त था जब बेटी को लोग बोझ मानते थे. बेटियों के जन्म पर न कोई उत्सव होता था और न कोई खुशी मनाई जाती थी. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. सोच बदल रही है. समाज बदल रहा है. अब बेटी वरदान के रूप में परिवार का अंग बन रही हैं. ऐसा ही एक उदाहरण कोठाज गांव में देखने को मिला जहां 6 साल बाद सुथार परिवार में एक बेटी ने जन्म लिया, तो परिवार जनो के खुशी का ठिकाना नही रहा. परिवार ने घर की लाडली का स्वागत अनोखे अंदाज में किया है.
कोठाज में रहने वाले नाथू लाल सुथार के घर पर जब पोती का 6 साल बाद आगमन हुआ, तो पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. अक्सर लोग एक बेटे की चाहत रखते हैं, लेकिन यह परिवार बेटी पाकर भी खुश है. समाजसेवी नाथू लाल सुथार का कहना है कि बेटी उनके घर 6 साल बाद फिर से खुशियां लेकर आई है.
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बेटियां होती हैं वरदान
कोठाज के सुथार परिवार ने 6 साल बाद बेटी के जन्म पर दुनिया की सोच बदलने के लिए बेटी के घर आगमन की ऐसी तैयारियां की, कि लोग देखते रह गए. लाडली बेटी चेष्टा का जैसा ही घर आगमन हुआ और उसने दहलीज पर कदम रखा तो ढोल धमाकों के साथ स्वागत किया गया. पूरे घर को फूलों से सजाया गया.
बच्ची के पैरों में कुमकुम लगाकर कपड़े पर उसके पद चिन्ह लिए गए. बाहर से लेकर अंदर तक फूल की पंखुड़ियां बिछाई गई. इस दौरान पूरे गांव में हरि बोल संकीर्तन यात्रा निकाली. भगवान के भजनों पर हरिबोल मडलियो में मौजूद श्रद्धालुओं ने जमकर नाच गाना किया.
हरि बोल संकीर्तन यात्रा के पूरे गांव में भ्रमण के बाद चारभुजा मंदिर परिसर में धर्म सभा हुई. जिसमें बेटियों को घर के आंगन की फुलवारी और घर में बेटियां होना किसी वरदान से कम नहीं बताया. नन्ही बेटी चेष्टा का स्वागत का जश्न पूरे गांव में हरि बोल के जयकारे के साथ उत्सव की तरह मनाया गया. कोठाज चारभुजा मंदिर परिसर में पंचमेवा और सिक्कों से बेटी को तोला गया. यह सब परिवार, समाज को यही दिखाने के लिए प्रतिबद्ध था की बेटियां बोझ नहीं वरदान होती है.
बेटों से कम नहीं होती बेटियां
सुथार परिवार के लोगों का कहना है कि हमारे घर में देवकिशन की पत्नी निहाला की बेटी हुई है. लेकिन हमें बेटी होने पर ना हताशा है ना निराशा है. क्योंकि बेटियां भगवान का दिया वरदान होती हैं. बेटियां लक्ष्मी होती हैं, परिजनों का कहना है कि सामान्यतया बेटे होने पर ऐसी खुशियां मनाई जाती हैं, लेकिन हम समाज में यह संदेश देना चाहते है कि बेटियों के जन्म लेने पर भी बेटों जैसी खुशियां मनाई जाए, क्योंकि बेटियों से ही आगे परिवार चलता है और पूरे एक समाज का निर्माण होता है. ऐसे में उनके योगदान को हम कभी कम नहीं देख सकते. खास बात यह है कि सुथार परिवार की इस खुशी में उनका पूरा गांव शामिल था. सभी लोग सुथार परिवार की तारीफ कर रहे थे. जो बेटो और बेटियों के बीच कोई भेदभाव नहीं रखते. सभी ने जमकर नाच गाने के साथ घर की लाडली का स्वागत किया.
Reporter : Mohammad Khan
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