Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसा शमशान घाट है, जहां माता काली का मंदिर है. यहां दिन में नहीं बल्कि आधी रात में पूजा-पाठ की जाती है. इस दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
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Bhilwara News: राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसा शमशान घाट है, जहां लोग आधी रात में जाते हुए भी नहीं डरते हैं. इसका कारण यह है कि यहां माता काली का मंदिर है, जिसमें शाम के समय पूजा-अर्चना की जाती है.
वहीं, नवरात्रि में आधी रात में यहां पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई देती है. कहते हैं कि माता के इस मंदिर में भक्त अपने दुख लेकर आते हैं. यहां माता रानी उनका निवारण करती हैं.
भीलवाड़ा में स्थित मां शमशान काली मंदिर में दिन में नहीं बल्कि रात के समय में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां नवरात्रि में आधी रात में कई अनुष्ठान होते हैं, जिसमें शामिल होने के लिए कई जगह से लोग आते हैं. यहां भक्त पूजा करते हुए अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं.
कोलकात्ता से आई थी मूर्ति
जानकारी के अनुसार, पंचमुखी मोक्ष धाम भीलवाड़ा का सबसे पुराना शमशान है. यहां शमशान काली माता की मूर्ति पांच साल पहले विराजमन की गई थी, जिसको कोलकात्ता के कालीगढ़ से लाया गया था. ज्यादातर मंदिरों में सुबह शाम की पूजा अर्चना की जाती है लेकिन इस काली माता के मंदिर में नवरात्रि में आधी रात में माता की पूजा की जाती है, जिसमें महिला, पुरुष और बच्चे शामिल होते हैं.
मोक्ष धाम में बना पहला ऐसा मंदिर
कहा जाता है कि माता रानी को चढ़े सिंदूर को लगाने से घर में सुख-शांति आती है. यह माता काली का पहला ऐसा मंदिर है, जो मोक्ष धाम में बना हुआ है. यहां रात के समय जागरण और सुबह भंडारे को आयोजन किया जाता है.
डर हो जाता है खत्म
मान्यता है कि रात में शमशान में नहीं जाना चाहिए लेकिन कहते हैं कि यहां अगर रात में कोई बच्चा भी चला जाए, तो उसकी डर खत्म हो जाता है. यहां नवरात्रि में भारी भक्तों की भीड़ नजर आती है.