राम भरत लक्ष्मण की जोड़ी से कम नहीं बीकानेर के ये तीन भाई, पिता के सपना पूरा करने के लिए लगा दी जान
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राम भरत लक्ष्मण की जोड़ी से कम नहीं बीकानेर के ये तीन भाई, पिता के सपना पूरा करने के लिए लगा दी जान

Bikaner News: बीकानेर जिले के लिए आज गौरव का दिन रहा आज के दिन इस धारा के ऊपर राष्ट्र के महान संतों के पद चिन्ह के निशान अंकित हो गए .संत पदमाराम गुलरिया की विशालकाय मूर्ति का अनावरण करते हुए हाईटेक लाइब्रेरी और संग्रहालय को आम लोगों को समर्पित किया.

बीकानेर के ये तीन भाई

Bikaner News: सदियों से कहावत है कि पुत सपूत तो क्यों धन संचे पुत का कपूत तो क्यों धन संचे कुछ ऐसा ही नजारा पेश किया है नोखा क्षेत्र के सिलवा गांव के ब्रह्मलीन गौसेवक संत पदमाराम कुलरिया के बेटे करनाराम शंकर लाल धर्म गुलरिया ने रेतीले धोरों में बसे सिलवा गांव में जहां उजाले के लिए लाइट की व्यवस्था संपूर्ण नहीं. उस छोटे से गांव में अपने पिता के सपनो को साकार करते हुवे उन्होंने हाईटेक डिजिटल लाइब्रेरी का संतो के सानिध्य में लोकार्पण कर वहा के छात्रों को सुपुर्द किया.

गौरव का दिन 
बीकानेर जिले के लिए आज गौरव का दिन रहा आज के दिन इस धारा के ऊपर राष्ट्र के महान संतों के पद चिन्ह के निशान अंकित हो गए .अवसर था गोसेवी संत दुलाराम पदमाराम गुलरिया की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में पदम स्मारक का लोखापन साथ ही संग्रह लेकर भी लोकार्पण इसके साथ बालिका विद्यालय की नई का शिलान्यास इस अवसर के साक्षी बने योग गुरु रामदेव जी महाराज अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के गोविंद गिरी जी महाराज हरिद्वार के प्रख्यात संत चिमन्यानंद जी महाराज के साथ-साथ आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण जी पर यहां के स्थानीय संत उपस्थित होकर संत पदमाराम गुलरिया की विशालकाय मूर्ति का अनावरण करते हुए हाईटेक लाइब्रेरी और संग्रहालय को आम लोगों को समर्पित किया.

बीकानेर क्षेत्र में कुलरिया परिवार का नाम आते ही लोगों की आंखों के सामने संत पदमाराम कुलरिया के तीन बेटे करनाराम शंकर लाल और धर्माराम कुलारिय के चेहरे अचानक की सामने आ जाते हैं. जो आज भी अपनी गांव की जड़ों से जुड़े हुए हैं. लोग पैसा कमाने गांव से शहर जाते हैं और इस ही जिंदगी के माहौल में रम जाते हैं. लेकिन इन सब से एक अलग मिसाल पेश कर रहा है कुलरिया परिवार आज भी अपने जड गांव में मजबूत कर रहा है.

 इंटीरियर डेकोरेशन के देश के नामचीन उद्योगपतियों में शामिल यह तीनों भाई आज भी अपने मातृभूमि सिलवा और अपने पिता के सपनों को साकार करने में दिन-रात एक कर रहे हैं. घर के संस्कार ऐसे की आज भी तीनों एक ही छत के नीचे रह रहे हैं. और अपनी माता जी की सेवा कर रहे हैं. इसके साथ अपने पिता के दिए संस्कारों और उनकी आंखों में बसे सपने को पूरा करने का पुरा प्रयास कर रहे हैं. उनके पिता संत पदमाराम ने सपना पाल था कि जिस आभाव में मैंने और मेरे बच्चों ने जीवन यापन किया वह अभाव गांव की अगली पीढ़ी ना करें. 

नई पीढ़ी अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य और साथ ही अच्छा रोजगार सबको मिले इसी को लेकर वह लगातार सिलवा के विकास में चार चांद लगा रहे हैं मगर इतना करने के बाद भी वह आज भी चमक दमक से दूर साधारण रहते है. साधारण पहनावा यहां तक कि उनकी पारिवारिक औरतों भी घुंघट और साधारण पहनावे के साथ गांव में विचरण करती है.कहीं से नहीं लगता कि यह भारत के मुख्य उद्योगपतियों का परिवार है .आज भी सादा जीवन और उच्च विचार वाले परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं.

योग गुरु बाबा रामदेव ने इस अवसर पर कहा की वर्तमान आधुनिक समय में अपने पिता के सपनो को साकार करने वाले पुत्र बहुत कम मिलते है. इन तीनों भाइयों ने अपने पिता के सपनो को साकार करते हुवे आज पदम स्मारक का अनावरण कर एक अधभूत मिशाल पेश की है. इनके संस्कार ही इनके परिवार की पूंजी है.

संत पदमाराम गुलरिया के मजले पुत्र शंकर गुलरिया ने बताया कि वह अपने पिता के बताए पद चोन पर चल रहे हैं उनके पिता की आशीर्वाद से हम उनकी आंखों में जो सपने थे उनका पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं जिस बालिका विद्यालय का आज शिलान्यास हुआ है उसकी लागत करीब 20 से 24 करोड़ आएगी वह अपने आप में एक अनोखी विद्यालय होगा हम प्रयास कर रहे हैं कि इस क्षेत्र की हर बालिक हर बालक अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और साथ ही अच्छा रोजगार भी अपने लिए तैयार करें. वहीं उन्होंने इस मौके पर पधारे हुए संतो की के बारे में कहा कि उनके पिताजी कहा करते थे कि जिन घर में संतों के पांव पढ़ते हैं वह घर धन्य हो जाते हैं

हरिद्वार के परमाथ आश्रम के महंत चिमन्यानन्द जी महाराज ने कहा की अगर संस्कार किसी को देखने हो तो वो सिलवा की धरती पर आकर देखें. जहा की संताने अपने माता पिता के सपनो को पंख लगा रहे है.

 संत पदमाराम कुलरिया की पुत्रीयो ने बताया कि उस बहन के लिए वह पल सबसे गौरव में पल होता है जब उसके भाई उनके पिता के सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं हमें खुशी है कि हमारे भाई वही कर रहे हैं जो संस्कार हमारे पिता ने उनको दिए हैं और जो उन्होंने गांव के विकास की अलख जगाई उसको वह निभाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं.

नोखा की अनोखी धरती पर जिस तरह से अपने पिता को उनके पुत्रों ने याद किया है वह पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल है और साथ ही संदेश हैं कि चाहे आदमी कितनी भी अपनी प्रगति कर ले लेकिन अपने संस्कार और अपने जड़ों को कभी ना भूले .

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