चित्तौड़गढ़: भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति ने राजस्थान मध्यप्रदेश के एक लाख साठ हजार अफीम किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार को सद्बुद्धि देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की चित्तौड़गढ़ सांसद कार्यालय स्थित प्रतिमा के सामने प्रार्थना कर श्रद्धांजलि अर्पित की.
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चित्तौड़गढः जिले के सांसद कार्यालय के पास स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने के बाद भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति ने मांगी लाल मेघवाल बिलोट और भारतीय जागरूक किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभियंता अनिल सुखवाल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें मध्य प्रदेश के जिला नीमच मुख्यालय पर आगामी 19 अक्टूबर को आयोजित होने वाले अफीम किसानों के सम्मेलन के लिए प्रचार प्रसार की रूपरेखा तैयार कर गांव गांव में प्रचार प्रसार के लिए टीमों का गठन किया.
नीमच में आयोजित होने वाले सम्मेलन में केन्द्र सरकार से एक लाख साठ हजार पुराने अफीम पट्टों को बहाल करने और सीपीएस पद्धति में जारी किए गए. पट्टों को ऑप्शन के आधार पर देने अथवा रद्द करने की मांग केंद्र सरकार से की जाएगी.
अफीम किसानों की मांग है कि सभी किसानों को दस से पच्चास आरी के समान लुवाई चिराई के अधिकार सहित अफीम के पट्टे दिए जाएं और वर्ष 1998 से अब तक सभी काटे गए पुराने पट्टों को सरकार बहाल करें. भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल ने चित्तौड़गढ़ में बताया कि आगामी 19 अक्टूबर को राजस्थान मध्यप्रदेश के सभी अफीम किसानों का सम्मेलन नीमच में आयोजित होने जा रहा है, जिसमें अफीम किसानों की तेरह वर्षों से चली आ रही पांच सूत्री मांगों पर चर्चा की जाएगी.
मांगीलाल ने बताया कि चित्तौड़गढ़ जिले से सभी अफीम किसानों का समूह नीमच में आयोजित होने वाले सम्मेलन में भाग लेने के लिए गांवों में जनसंपर्क अभियान चालू कर दिया गया है.
मांगीलाल मेघवाल ने कहा कि 19 अक्टूबर को राजस्थान मध्यप्रदेश के सभी अफीम किसान नीमच जिला मुख्यालय पर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहे हैं, जिसमें सभी अफीम किसान शान्ति प्रिय तरीके से संवैधानिक तौर पर अपनी मांगों पर बात करेंगे. किसी प्रकार का उग्र और हिंसक आंदोलन की पैरवी हम नहीं करते हैं और ना ही कभी करेंगे चाहे हमें शांति प्रिय ढंग से मांग करने में पूरी उम्र क्यों ना गुजर जाएं हमारा संघर्ष अनवरत जारी रहेगा.
अफीम किसानों को सम्बोधित करते हुए मांगीलाल ने कहा कि अभी खेती का समय चल रहा है. सोयाबीन निकाल कर सरसों बोना है. मजदुर नहीं मिल रहे है, समय नही हैं. लेकिन अफीम के पट्टे भी उन सभी किसानों को चाहिए जिनके सोयाबीन व सरसों की बुवाई करनी है.
इसलिए यदि इस वर्ष 2 पॉलिसी जारी हुई है. सीपीएस और एक लुवाई चिराई यदि अगले वर्ष लुवाई चिाराई बन्द कर दी गयी तो हम कुछ भी कहने सुनने लायक नही रहेंगे. इसलिए अपना अमूल्य और कीमती समय निकाल कर 19 अक्टूबर 2022 को परिवार से एक सदस्य को परिवार से भेज कर परम्परागत अफीम खेती को बचाने में सहयोग प्रदान करें. अन्यथा अफीम खेती भविष्य में लुप्त होने के कगार पर होगी.
Reporter- Deepak Vyas
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