कल्याण महाकुंभ की भव्य शोभायात्रा और कलशोत्सव ने रचा नया इतिहास
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कल्याण महाकुंभ की भव्य शोभायात्रा और कलशोत्सव ने रचा नया इतिहास

शोभायात्रा के दौरान कई जगह नगरवासियों एवं कल्याण भक्तों द्वारा जब सतरंगी आतिशबाजी की गई तो कल्याण नगरी चमक उठी. 

कल्याण महाकुंभ की भव्य शोभायात्रा और कलशोत्सव ने रचा नया इतिहास

Nimbahera: मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ के सप्तदश कल्याण महाकुंभ के प्रथम दिवस ज्येष्ठ पूर्णिमा मंगलवार को निकाली गई. भव्य शोभायात्रा एवं कलशोत्सव ने महाकुंभ के पिछले कई वर्षों के इतिहास को तोड़ते हुए नया इतिहास रच दिया. यह शोभायात्रा दशहरा मैदान स्थित ढाबेश्वर महादेव से ठाकुरजी के गगनभेदी जयकारों के साथ प्रारंभ हुई.

जिसमें हाथी, घोड़े, ऊंट, ऊंटगाडियां, केसरिया बाना पहने वीर वीरांगनाएं, सैन्य वेशभूषा में क्षत्रिय ग्रुप की बालिकाएं, अश्वरोही वीर, वीरांगनाएं व बटुक लगभग 2000 कलश लिए कृष्णा शक्ति दल की माता बहने व श्रद्धालु महिलाओं के साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु पूरी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ शामिल हुए.

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शोभायात्रा में श्रद्धालु डीजे पर एवं मालवी ढोल की थाप पर नाचते झूमते चल रहे थे. चित्तौड़गढ़ व आसपास के जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से एवं एमपी के ग्रामीण क्षेत्रों से भी 300 से अधिक प्रभातफेरियों के महासंगम के फलस्वरूप कल्याण नगरी को धर्म नगरी निरूपित करते हुए भजनानन्दी स्वर लहरियों से गुंजायमान कर दिया. शोभायात्रा में मेवाड़, मालवा, वागड़, हाड़ौती सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कल्याण भक्त भागीदार बने.

कई रहे विशेष आकर्षण

शोभायात्रा के दौरान अवंतिका नगरी से आए 75 सदस्यीय भस्म रमैया भक्त मण्डल के श्रद्धालुओं द्वारा पारम्परिक वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा, वहीं वेद विद्यालय एवं वैदिक विश्वविद्यालय के बटुकों द्वारा प्रदर्शित मल्लखम्ब तथा शक्ति ग्रुप की बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत हैरतअंगेज अखाड़ा प्रदर्शन भी हर किसी को आकर्षित कर रहे थे.

सजी धजी झांकियों ने मन मोहा

कल्याण महाकुंभ की शोभायात्रा के दौरान राष्ट्रभक्ति एवं धर्म संस्कृति से जुड़ी आधा दर्जन से अधिक झांकियों ने कल्याण नगरीवासियों का मन मोह लिया. कई दर्शक इन झांकियों का हाथ जोड़कर अभिवादन करते तथा जयकारे लगाते हुए नजर आए.

तोप एवं ड्रोन से हुई पुष्प वर्षा

शोभायात्रा के दौरान मार्गों के चौराहों पर जब तोप और ड्रोन से पुष्प वर्षा की तो वह नजारा देखने योग्य था. वहीं सतरंगी फूलों की बौछार से समूचा वातावरण महक उठा.

सतरंगी आतिशबाजी से चमक उठी कल्याण नगरी

शोभायात्रा के दौरान कई जगह नगरवासियों एवं कल्याण भक्तों द्वारा जब सतरंगी आतिशबाजी की गई तो कल्याण नगरी चमक उठी. सुभाष सांस्कृतिक संस्थान की ओर से सुभाष चौक सब्जी मण्डी चौराहा पर युवाओं द्वारा शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा के साथ ठाकुरजी के रथ की पूजा अर्चना कर विशाल केसरिया ध्वज लहराने का दृश्य भी मन मोहक था.

पग-पग पर हुई शोभायात्रा की अगवानी

दशहरा मैदान से शोभायात्रा के प्रस्थान के साथ ही कल्याण नगरीवासियों ने पलक पावड़े बिछाकर पग पग पर लक्खी मेले में शामिल हजारों श्रद्धालुओं के साथ ठाकुरजी के रथ की आत्मिक अगवानी करने में कोई कोर कसर नहीं रखी. मार्ग में पूर्व मंत्री श्रीचन्द कृपलानी, पूर्व विधायक अशोक नवलखा, ललितप्रकाश शारदा, कमलेश बनवार, मयंक अग्रवाल सहित कई भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही नगरपालिका के समीप पालिका नपाध्यक्ष सुभाषचन्द्र शारदा, उपाध्यक्ष परवेज अहमद, रोमी पोरवाल सहित नगरपालिका के कर्मचारियों ने पुष्प वर्षा के साथ ही जलपान कराकर शोभायात्रा में शामिल लोगों का स्वागत किया। इसी प्रकार चित्तौड़ी दरवाजे पर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष पुरूषोत्तमलाल झंवर, पुरण आंजना, बंशीलाल राईवाल, सुभाष शारदा, रवि प्रकाश सोनी, मनोज पारख सहित कई कांग्रेसजनों ने स्वागत किया। इसी प्रकार पूरे मार्ग में नगर के धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों से जुड़े श्रद्धालुओं द्वारा शोभायात्रा में ठाकुरजी के रथ की अगवानी करते हुए गगनभेदी जयकारे लगाए.

जनप्रतिनिधियों ने रथ खींचकर जताई श्रद्धा

जगन्नाथपूरी में रथ खींचने की परम्परानुरूप कल्याण नगरी में भी कई जनप्रतिनिधियों एवं श्रद्धालुओं द्वारा ठाकुरजी के रथ को खींचकर उनके प्रति अगाध आस्था प्रकट करते हुए स्वयं को धन्य किया. वहीं कल्याण नगरी को जगन्नाथपूरी बनाने में भी कोई कोर कसर नहीं रखी.

भैरव एवं महाराणा प्रताप की पूजा

कल्याण महाकुंभ को भव्य सफलता प्रदान करने एवं सर्वत्र खुशहाली की कामना के साथ वेदपीठ की ओर से मेवाड़ की आन, बान और शान के रखवाले वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की पूजा अर्चना कर शेखावत सर्कल पर द्युलोक के द्वारपाल के रूप में भैरवजी की विधि विधान से पूजा अर्चना कर महाकुंभ को निर्विघ्न रूप से संपन्न करने की कामना की गई.

अपार जनगंगा का प्रवाह देखने योग्य रहा

कल्याण महाकुंभ के प्रथम दिवस पर निकाली गई भव्य एवं अनुठी शोभायात्रा का विहंगम दृश्य अपार जनगंगा प्रवाहित कर रहा था. मार्ग के दोनों ओर हजारों नगरवासी प्रवाहित जनगंगा दर्शन कर आनंदित हो रहे थे. कल्याण नगरी के हर गली और मोड़ का अंतिम छोर वेदपीठ ही बना हुआ था, जहां तीन समुद्रों के संगम के भांति बने विहंगम दृश्य ने महाकुंभ को लक्खी मेला साबित कर दिया. लगभग 7 घण्टे चली अनुठी शोभायात्रा में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा.

आराध्य की शोभायात्रा में शामिल हुए हजारों रेबारी

रेबारी और रायका समाज श्री कल्लाजी को अपना ईष्ट एवं अपना आराध्यदेव मानते है इसी कारण महाकुंभ के प्रथम दिवस ही मेवाड़, मालवा, हड़ौती क्षेत्र के हजारों रेबारी समाज के श्रद्धालु नर-नारी शामिल हुए। वे लोग अपनी ही धुन में लोक भजन गाते हुए जयकारे लगा रहे थे।

तीन समुद्रों एवं सप्त नदियों के जल से हुआ महारूद्राभिषेक

महाकुंभ के प्रथम दिवस ज्येष्ठ पूर्णिमा को मंगला दर्शन के साथ ही ठाकुरजी का तमिलनाडु से अर्पित तीन समुद्रों एवं सप्त नदियों के पवित्र जल से नमक-चमक के साथ महारूद्राभिषेक किया गया. इस दौरान वेदपीठ के आचार्यों एवं बटुकों द्वारा किए गए वैदिक मंत्रोचार से मंदिर परिसर गूंज उठा.

ठाकुरजी का मनभावन श्रंगार

महाकुंभ के प्रथम दिवस वेदपीठ पर विराजित ठाकुरजी सहित पंच देवों का मनभावन श्रंगार देखते ही बनता था. दूर दराज से आए हजारों श्रद्धालु अपने आराध्य के अनुपम दर्शन कर अपलक नैनों से उनकी छवि को मन में बसाने की कामना कर रहे थे.

प्रथम बार खाद्यान्न थाल के रूप में छप्पनभोग अर्पित

वेदपीठ की स्थापना से अब तक पहली बार महाकुंभ के प्रथम दिवस ठाकुरजी को छप्पनभोग के रूप में 71 से अधिक खाद्यान्न थाल अर्पित करने के साथ ही भोजन शाला में प्रयुक्त किए जाने वाले समस्त संसाधन न्यौछावर कर समस्त कल्याण भक्तों को धनधान्य से परिपूर्ण करने की कामना का दृश्य इतना मन मोहक था कि हर कोई इसे देखकर चकित हो रहा था. कई लोगों को ऐसी अनुभूति हुई मानों पूरी के जगन्नाथ स्वामी की पवित्र भोजनशाला का दृश्य उनके समक्ष बरबस ही प्रकट हो गया हो. वेदपीठ के चित्तौड़ दुर्ग की प्राचीर के रूप में सजी झांकी देखते ही बनती थी. ऐसा लगा मानों सूक्ष्म रूप में दुर्ग ही यहां आकर ठाकुरजी का दुर्ग बन गया हो.

सुमंतु कथा मंडप में पहुंचे हजारों श्रद्धालु

सुमंतु कथा मंडप में हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने के साथ ही समूचा वातावरण गगनभेदी जयकारों से गुंज उठा. वहीं व्यासपीठ पर विराजित आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दोर्गादत्ती ने भविष्य पुराण महात्मय प्रकट करते हुए कहा कि नारायण पुराण पुरूषोत्तम है तथा नारायण का दाहिना घुटना भविष्य पुराण का प्रतीक है. जिसमें सूर्योपासना के गूढ़ रहस्यों को समाहित किया गया है. उन्होंने बताया कि भविष्य पुराण नारायण के कार्यकारी स्वरूप का दिग्दर्शन कराती है.

 

स्व.शांति तूफान प्रेरणा पुंज मानकर सूत्रधार विनोद सोनी के अनुसार बुधवार रात्रि को सुमंतु कथा मंडप में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन रात्रि 9 बजे से किया जाएगा. जिसमें इंदौर से मुकेश मोलवा, उदयपुर से सिद्धार्थ देवल, लखनऊ से प्रख्यात मिश्रा, पिलानी से राज शेखावत, ईटावा से देवेन्द्र प्रताप आग, हिंगारिया से विकास नागदा, नीमच से दीपशिखा रावल, संदीप शर्मा, राजसमंद से गौरव पालीवाल अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत करेंगे.

Reporter- Deepak Vyas

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