त्तौड़गढ़ के कपासान में मेवाड़ के प्रसिद्ध लोक नाट्य गवरी का मंचन.गवरी नृत्य पौराणिक दंत कथाओं पर आधारित शिव और शक्ति को आराध्य मानकर किया जाता है.
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Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ के कपासान में मेवाड़ के प्रसिद्ध लोक नाट्य गवरी का मंचन किया गया. इस दौरान सैकडों की तादाद में दर्शक गवरी देखने पहुंचे. गवरी के दौरान स्वच्छ भारत मिशन व सामाजिक कुरूतियों पर भी दर्शकों को सजक रहने के संदेश दिया गया. कस्बे के महाराणा प्रताप चौराहा पर आयोजित गवरी नृत्य मंचन में लोक कलाकारों द्वारा सवा महीना आदिवासी संस्कृति से परिपूर्ण गवरी का मंचन होता है. गवरी नृत्य पौराणिक दंत कथाओं पर आधारित शिव और शक्ति को आराध्य मानकर किया जाता है. गवरी का नामकरण भी गौरी के नाम पर ही किया गया है. मान्यता है कि माता पार्वती सवा महीना अपने पीहर आती हैं, तो वहीं शिव और अपनी बेटी पार्वती को खुश करने हेतु भील समुदाय गवरी का मंचन करता है और उनके आने की खुशी में जश्न मनाता है. इस दौरान भील समुदाय के लोग हरी सब्जी नहीं खाते हैं और खाट पर नहीं सोते हैं.
लोक नाट्य गवरी में कालु कीर, कान जी माराज, हटिया, राजा-रानी, बंजारा मीणा खेल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भारत मिशन, शिक्षा, का संदेश देते हुए हास्य, व्यंग, शौर्य पराक्रम वीरता से परिपूर्ण खेल के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया गया. देश में खुशहाली, रोग महामारी का प्रकोप खत्म हो बुराई का अंत हो, देश की खुशहाली की कामना माता गौरी से की गई. इसे देखने आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. इस अवसर पर भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार बारेगामा, पार्षद अशोक विजयवर्गीय, भाजयुमो नगर अध्यक्ष मनीष बारेगामा सहीत सैकडों महिला पुरूष मौजूद रहें.
Reporter - Deepak Vyas
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