वन अधिकारियों की माने तो टाइगर्स दुपहिया-चौपहिया वाहनों पर सवार राहगीरों पर अटैक नहीं करते और फिर भी वाहन चालकों को भी खुद की सुरक्षा के लिए वन्यजीवों से सुरक्षित दूरी बना कर रखनी चाहिए.
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Chittorgarh: कोटा-रावतभाटा मार्ग के बीच सफर के दौरान रास्ते में पड़ने वाले जंगल में राहगीरों का सामना पैंथर, हिरण और सियार से ही हो रहा था, लेकिन अब इस मार्ग पर सफर करने वाले राहगीरों को ज्यादा सावधान होने की जरूरत है.
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यहां शनिवार को कोटा और रावतभाटा के बीच चित्तौड़गढ़ जिले की सीमा के भीतर जावरा के पास शनिवार अल सुबह 3.30 बजे एक बाघिन घूमते देखी गई. भारी पानी संयंत्र में कार्यरत चालक दीपक गिरी अल सुबह जयपुर से कोटा पहुंचे मुख्य प्रबंधक को लेने रावतभाटा से कार में सवार होकर निकले थे.
इस दौरान चालक ने जावरा सरकारी स्कूल से करीब 500 मीटर दूर सड़क किनारे जंगल में घूमती एक बाघिन को देखा तो घबरा गए, चालक ने बाघिन को कैमरे में कैद कर लिया. वनाधिकारियों ने बाघिन के मुकुंदरा में विचरण कर रही बाघिन एमटी-4 के होने की पुष्टि की, जिसमें बताया कि बाघिन करीब 3 महीनों से एनक्लोजर से बाहर है.
वन अधिकारियों की माने तो टाइगर्स दुपहिया-चौपहिया वाहनों पर सवार राहगीरों पर अटैक नहीं करते. फिर भी वाहन चालकों को भी खुद की सुरक्षा के लिए वन्यजीवों से सुरक्षित दूरी बना कर रखनी चाहिए. गौरतलब है कि रावतभाटा से कोटा की 50 किलोमीटर दूरी के बीच करीब 14 किलोमीटर मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का घना जंगल पड़ता है.
कोटा-रावतभाटा मार्ग पर 24 घंटे वाहनों की आवाजाही रहती है. सफर के दौरान आए दिन राहगीरों को जंगल के बीच पैंथर सहित अन्य वन्यजीव देखने को मिलते हैं. वहीं रावतभाटा क्षेत्र में टाइगर की एंट्री से लोग सकते में आ गए हैं.
जानकारी के अनुसार नेशनल वहीं टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की ओर से मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में टाइगर्स लाने के निर्देश है, जिसके शुरुआती दौर में अधिकारी एक बाघ और एक बाघिन को लाने की तैयारी कर रहे हैं.
आने वाले टाइम में मुकुंदरा में एक दर्जन टाइगर्स की चहल कदमी की संभावना जताई जा रही है, जिसके बाद रावतभाटा-कोटा के बीच सफर करने वाले राहगीरों को और भी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी.
Reporter: Deepak Vyas