Dausa News: दौसा में इन दिनों रबी फसल की जींस की कृषि उपज मंडियों में आवक शुरू हो गई है,हालांकि फिलहाल जींस की आवक कम हो रही है उसकी वजह है पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि जिसके चलते मंडियों में आ रहे गेहूं जो चने की क्वालिटी भी कमजोर बताई जा रही है.
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Dausa News: दौसा जिले की कृषि उपज मंडियों में इन दिनों रबी की फसल की आवक शुरू हो गई है. हालांकि गत वर्ष के मुकाबले फिलहाल आवक कम है, तो वहीं, मंडियों में समर्थन मूल्य के मुकाबले दाम भी किसानों को कम मिल रहे हैं. लेकिन जरूरत के चलते मजबूरी वश किसान अपनी फसल को बेचने के लिए मजबूर है किसानों का कहना है समर्थन मूल्य से काफी कम भाव में उनकी जींस मंडियों में बिक रही है जिसके चलते उन्हें काफी नुकसान हो रहा है.
पहले कुदरत ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि कर किसानों को खून के आंसू रुलाए अब बची कुछी फसल को लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं, तो उनके भाव कम मिलने से उनके सामने रोजी रोटी का बड़ा संकट भी खड़ा हो रहा है. बेमौसम हुई बारिश ने 50% से भी अधिक उनकी फसल को नुकसान पहुंचा दिया. अब मंडियों में व्यापारी यह कहकर फसलों का दाम कम लगा रहे हैं कि यह क्वालिटी में कमजोर है पूर्व में सरकार द्वारा एक अप्रैल से समर्थन मूल्य पर रबी की फसल खरीद की बात कही थी.
लेकिन सरकारी खरीद के दौसा मंडी में काउंटर तो स्थापित कर दिया. लेकिन अभी तक उस पर खरीद शुरू नहीं हुई जिसके चलते किसानों को मंडियों में ओने पौने दामों पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है पहले कुदरत ने मारा और अब व्यापारी मार रहे हैं ऐसे में सरकार जल्द से जल्द एनएससी पर उनकी फसल खरीदे उन्हें कुछ राहत मिल सकती है.
वहीं, दौसा कृषि उपज मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष राकेश चौधरी ने भी यह माना कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा. उसकी बड़ी वजह है फसल की गुणवत्ता नहीं होना बारिश में फसल के भीगने से उसकी क्वालिटी कमजोर हो गई. जिसके चलते किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करें ताकि मंडी में कम दाम में अपनी फसल को बेचने वाले किसानों को राहत मिल सके.
किसानों का कहना है कड़ाके की ठंड में दिन रात मेहनत कर उन्होंने रबी की फसल तैयार की थी और उम्मीद थी अब की बार उन्हें उनकी मेहनत का अच्छा फल मिलेगा जब खेतों में फसल पककर तैयार हुई तो लग रहा था इस बार फसल कटाई के साथ वह उत्सव मनाएंगे लेकिन बेमौसम कुदरत के कहर के आगे उनके सारे सपने धूमिल हो गए.
अब हालात यह हैं कि उनके सामने साल भर की रोजी रोटी का भी बड़ा संकट खड़ा हो गया ऐसे में किसानों की मांग है राम उनसे रूठ गया लेकिन राज उनसे नहीं रूठे अगर राज भी उनसे रूठ गया तो उनके तो खाने के भी लाले पड़ जाएंगे.
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