पांच दिवसीय दीपोत्सव के आगाज के साथ त्यौहार का सिलसिला शुरू हो गया है.
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Jaipur: पांच दिवसीय दीपोत्सव के आगाज के साथ त्यौहार का सिलसिला शुरू हो गया है. दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली (Diwali 2021) का त्यौहार प्रदेशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को छोटी दिवाली के साथ-साथ नरक चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भी दीपावली की तरह पूजा-पाठ, दीप जलाएं जाते हैं, लेकिन दोनों दिन पूजा में अंतर होता है कि दिवाली पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
नरक चतुर्दशी (Naraka Chaturdashi) के मौके पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है, वैसे तो धनतेरस (Dhanteras) से लेकर बड़ी दिवाली तक लक्ष्मी पूजन का बड़ा महत्व माना जाता है लेकिन छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण, यमराज और हनुमानजी की भी पूजा को महत्व दिया जाता है.
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दीपावली के सबसे बड़े त्यौहार में से एक दिन महिलाओं के सजने-संवरने का भी है. दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद रूप निखारने का पर्व मनाया जाता है, जिसे रूप चतुदर्शी (Roop Chaudas) भी कहते हैं. रूप चतुर्दशी के तौर परन मनाया जाने वाला पर्व आज प्रदेशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. रूप चतुर्दशी के साथ ही इस दिन को नरक चतुदर्शी के तौर पर भी मनाया जाता है, ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्योदय के समय जहां महिलाएं उबटन लगाती हैं तो वहीं पुरुष अपने शरीर पर तेल लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से सौंदर्य निखरने के साथ अच्छी सेहत भी प्राप्त होती है. इस पर्व को पूरे विधि-विधान से मनाने से विशेष लाभ मिलते हैं. नरक चौदस के दिन तिल के तेल में 14 दीपक जलाने की परंपरा है. रूप चतुर्दशी बाह्य सुंदरता, आकर्षण, तेज, प्रभाव, व्यक्तित्व से संबंधित है, पहले अंतस्थ फिर बाह्य व्यक्तित्व का व्यवस्थीकरण कर आभ्यांतर स्वास्थ्य की प्राप्ति की कामना करने का प्रयास करना चाहिए.
दिवाली का त्यौहार रोशनी का त्यौहार होता है, इस मौके पर घर की साफ-सफाई की जाती है. कहते हैं कि समृद्धि उसी घर में होती है, जहां के लोगों को मन, तन और घर की सफाई पसंद होती है. दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली है, छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. लोग इस दिन अपने घर के सभी बेकार चीजों और कबाड़ को घर से बाहर निकालते हैं और अपने घर को साफ करते है. इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है.
सुबह स्नान कर यमराज की पूजा और रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु की संभावना टल जाती है. ज्योषियों के मुताबिक नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व कहा जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था. इसीलिए चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी के नाम पर पड़ा. इस दिन पूजा करने से नरक निवारण का आशीर्वाद मिलता है, इसीलिए लोग अपने घर में यमराज की पूजा कर अपने परिवार वालों के लिए नरक निवारण की प्रार्थना करते हैं.
बहरहाल, घर की सफाई के साथ तन और मन की सफाई भी जरूरी है. वास्तु शास्त्र में कचरे और गंदगी नकारात्मक ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने गए हैं, इसलिए समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर के कचरे के साथ ही साथ मन के कचरे को भी साफ करना बेहद जरूरी है.