एक एप जो आपकी जिंदगी भर की मेहनत की कमाई को पलक झपके ही कर देगा गायब
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एक एप जो आपकी जिंदगी भर की मेहनत की कमाई को पलक झपके ही कर देगा गायब

देश में ऑनलाइन लेनदेन का चलन बढ़ने लगा है. जैसे-जैसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ रहे हैं. उसी तेजी से ऑनलाइन ठगी की वारदाते भी बढ़ रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: देश में ऑनलाइन लेनदेन का चलन बढ़ने लगा है. जैसे-जैसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ रहे हैं. उसी तेजी से ऑनलाइन ठगी की वारदाते भी बढ़ रही है. एक वारदात के तरिके को आप जैसे ही समझकर उससे बचने का प्रयास करते हैं. ठग नये तरिके को इजाद कर लेते हैं और आप उसके जाल में फंस जाते हैं. आज जयपुर की ही एक ऐसे फ्रॉड की बात करते हैं जिसमें नए तरिके से साइबर ठगों ने खाते से लाखों रुपये गायब कर दिए.

जयपुर का सी स्कीम इलाका, जहां स्टेच्यू सर्किल के पास एक अपार्टमेंट की नवी मंजिल पर मौजूद एक फ्लेट में बुजुर्ग महिला उषा कुमार अपने परिवार के साथ रहती है. महिला की उम्र करीब 70 साल है जो कि रिटायरमेंट के बाद अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर ही व्यतित किया करती है. कुछ महिनों पहले की बात है. जब हमेशा की तरह उषा कुमार अपने मोबाइल पर इंटरनेट बैंकिग का इस्तेमाल कर रही थी. इस दौरान जब गुगल पे में ट्रांजेक्शन करने में समस्या हो रही थी. आम लोगों कि तरह महिला ने गुगल पर जाकर कस्टमर केयर के नंबर लिये और अपनी समस्या बतायी. वह नही जानती थी कि अब उसकी समस्या कम होने की बजाये बढ़ने वाली है. कस्टमर केयर नंबर गुगल पे का नहीं बल्कि ऑनलाइन ठगी करने वाले शातिर ठगों का था, जिन्होने अपने फर्जी नंबर गुगल पर लिस्टेड करवा रखे थे. कस्टमर केयर के नाम पर ठगी करने वाले व्यक्ति ने बुजुर्ग महिला को कहा कि अपने फोन में एनीडेस्क एप को डाउनलोड करे, जिससे उसकी मदद की जा सके. महिला ने ठग के कहे अनुसार एप डाउनलोड कर लिया. इसके बाद उसमे मोबाईल पर बैंक खाते से रुपये कम होने के मैसेज आने लगे. बैंक खाते से करीब 2 लाख 40 हजार रुपये कम हो गए.

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दरअसल ठगों ने बुजुर्ग महिला को बातों में उलझाकर उनके मोबाइल में एसबीआई एप की जगह एनी डेस्क एप डाउनलोड करवा दिया. उसके बाद महिला के फोन की स्क्रीन साइबर ठगों को दिखाई देने लगी और उन्होने बातों में उलझाकर महिला के खाते से रुपये गायब कर दिये. इसके बाद महिला ने अपने बेटे अभिषेक को फोन किया और घटना के बारे में जानकारी दी. अभिषेक ने पुलिस से संपर्क किया और घटना के बारे में बताया. पुलिस को एक ट्रांजेक्शन को केंसिल करने में सफलता मिली और करीब 50 हजार रुपये रिफंड हो गए, लेकिन उसके बाद अब तक करीब 1 लाख 80 हजार रुपये वापस नहीं आ पाये.

स्पेशल एंड साइबर क्राइम थाने के एसएचओ सतीश चौधरी बताते हैं कि ओटीपी पूछकर या फिर लॉटरी में जीतने का लालच देकर खातों से पैसा उड़ाने वाले ठग अब लोगों के मोबाइल को ही कंट्रोल में लेकर खाता साफ कर रहे हैं. गूगल पर मौजूद फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर लोग इन साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं. साइबर ठग लोगों को गुमराह कर एनीडेस्क एप मोबाइल पर डाउनलोड करवाते है. इसमें 9 अंकों का कोड होता है. जिसे साइबर ठग पूछ लेते हैं. जैसे ही ठग यह कोड अपने मोबाइल पर फीड करता है. पीड़ित के मोबाइल का एक्सेस उसके पास हो जाता है. रिमोट एक्सेस के जरिए वह पीड़ित के मोबाइल में जो चाहे देख सकता है. इतना ही नही मोबाइल पर कंट्रोल होने के बाद अगर पीड़ित के मोबाइल में कोई यूपीआई या फिर बैंकिंग एप है तो उसके खाते से ही रकम गायब कर लेता है. ऐसा इसलिए हो पाता है कि पीड़ित के मोबाइल पर आने वाला ओटीपी भी साइबर ठग को दिखाई देने लगता है.

साइबर ठग ठगी करने के लिए शापिंग कंपनियों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाते हैं. इनपर हेल्पलाइन नंबर डाल देते हैं. इसके अलावा गुगल पर भी कस्टमर केयर के नाम से फर्जी नंबर लिस्टिंग में टॉप पर ला देते है. इसके बाद कस्टमर केयर से किसी समस्या को दूर करने के लिए जब लोग संपर्क करते है तो वह कॉल साइबर ठगों के पास चला जाता है और साइबर ठग मोबाइल में एनीडेस्क एप को डाउनलोड करवाकर उसका कोड लेते हैं. फिर ऐप पर परमिशन मांगी जाती है. जैसे ही आप उसे अप्रूव करते है आपके फोन का रिमोट एक्सेस हैकर हो मिल जाता है और उसके बाद मोबाइल में पहले से मौजूद बैंकिंग ऐप से आपका पैसा गायब कर दिया जाता है. इससे बचने के लिए जरुरी है कि आप गुगल के जरिये कस्टमर केयर का नंबर नही देखें. कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ही कस्टमर केयर को फोन करे. इसके अलावा एनीडेस्क जैसे किसी एप का एक्सेस किसी को ना दे.

भारतीय रिजर्व बैंक खुद कई बार एनी डेस्क से बचने की सलाह देता रहा है. आरबीआई की माने तो प्लेस्टोर और ऐपस्टोर पर मौजूद एनीडेस्क ऐप को किसी की सलाह पर डाउनलोड नही करे. बैंक के अनुसार, यह ऐप आपके बैंक खातों और वॉलेट में मौजूद पैसों को मिनटों में उड़ा सकता है.

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