नगर निगम के बाद जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की तस्वीरें देखने को मिला, जहां जिला परिषद सदस्य, प्रधान और विकास अधिकारी ने एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
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Jaipur: नगर निगम के बाद जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की तस्वीरें देखने को मिला, जहां जिला परिषद सदस्य, प्रधान और विकास अधिकारी ने एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चाकसू प्रधान पति से प्रताड़ित होकर सदन में चाकसू विकास अधिकारी कृष्णा माहेश्वरी तो फूट-फूट कर रो पडी.
ये तस्वीरें जयपुर जिला परिषद सभागार में साधारण सभा की बैठक की हैं, जहां जनप्रतनिधियों और अफसरों के बीच टकराव देखने को मिला. एक दूसरे पर छींटाकशी होती रही, जिला प्रमुख और उपजिला प्रमुख आपस में बोलने को लेकर लड़ते रहे. चाकसू प्रधान उंगता चौधरी के पति बद्रीनारायण से प्रताड़ित विकास अधिकारी (BDO) कृष्णा माहेश्वरी सदन में ही फूट-फूट कर रोने लगी. उन्होंने सदन में जिला परिषद सीईओ से अपना ट्रांसफर करवाने की मांग कर दी. बीडीओ ने चाकसू प्रधान उगंता चौधरी का पति बद्रीनारायण चौधरी पर आरोप लगाए कि वे महिलाओं पर टिप्पणी करते है.
प्रधान उगंता देवी का पति बद्रीनारायण कहता हैं पंचायत समिति में नौकरी करनी है तो गुलामी करनी पड़ेगी. धमकाया जाता हैं. पूरी तरह से पंचायत में भय का माहौल बना हुआ हैं. इस तरह गुलामी करके तो काम नहीं कर सकते हैं. यदि मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चों का क्या होगा.
ऑफिस के एक-एक कमरे में जाकर फाइलों को बिना पूछे देखने लगते है उन्हें खुर्दबुर्द करने लगते है. पंचायत समिति में भय का माहौल है यहां अब कोई काम नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि मुझे इतना प्रताड़ित किया गया कि मैंन मानसिक तनाव में आ गई और मुझे 2 महीने छुट्टी लेकर जाना पड़ा. इस बीच मैंने ट्रांसफर की कोशिश की, लेकिन नहीं हुआ तो वापस ज्वाइन करना पड़ा. इस पूरी बात को कहते हुए बीडीओ का दर्द झलक पड़ा और सदन में ही फूट-फूट कर रोने लगी. तभी उनकी दूसरी विकास अधिकारी सुमन चौधरी और राजबाला साथी वहां आई और उन्होंने उसे संभाला. इसके बाद उन्हें संभालने वाली अधिकारी ने भी पंचायतों में जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रताड़ित करने के आरोप लगाए. उधर बीडीओ के आरोप पर चाकसू प्रधान ने पलटवार करते हुए कहा कि बीडीओ हमे अनपढ़-गंवार कहती है और बात-बात पर धमकाती है. उन्होंने बीडीओ पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए इसके कार्यो की जांच की मांग की. इस पूरे बवाल के बाद जिला परिषद सीईओ जसवीर सिंह ने मामले की जांच के आदेश दे दिए.
जयपुर जिला परिषद की बैठक में सदस्यों ने विकास कार्य नहीं होने का मामला उठाया. उन्होने कहा कि नौ माह में नौ रुपए का काम नहीं हुआ. यहां आते हैं एक दूसरे पर छीटाकंशी करते हैं और चले जाते हैं. जिला पार्षद होते हुए काम नहीं हो रहे इससे अच्छा हैं की इस्तीफा देकर बिना जनप्रतिनिधि ही काम करवा लेते. फील्ड में जूते पड़ने की नौबत आने लगी हैं. हमारी फाइलों को घुमाया जा रहा हैं. एक सदस्य ने तो इतना तक कहा कि साल-2000 में इसी जिला परिषद में सदस्य चुनकर आया था इस बात को बीस साल हो गए हैं.
लेकिन बीस साल गुजरने के बाद फिर में चुनाव लड़ा और जीता लेकिन आज तक गांव में सड़क नहीं बनी हैं. नरेगा में मेट लगाने के नाम पर पैसे का खेल चल रहा हैं. बिना पैसे मेट नहीं लगाए जाते हैं. इसका भी प्रूफ हैं. इस पर जिला परिषद सीईओ ने मौजमाबाद में सभी विकास कार्यों की जांच के साथ मनरेगा की जांच के आदेश दिए. उधर जिला प्रमुख रमादेवी चौपडा का कहना हैं कि सरकार के इशारे पर अफसर काम कर रहे हैं. जनप्रतिनिधि काम करना चाहते है लेकिन अफसर काम करने नहीं देते हैं. जिला परिषद को काम को रोका जा रहा हैं. बैठक में बिजली, पानी, रसद, नरेगा योजना सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.
बररहाल, जिस सदन में गांवों के विकास कार्यों पर चर्चा होनी चाहिए वहां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों के तीर चलाए जा रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी सदन में जनप्रतिनिधियों के सवालों का अफसरों के पास एक ही जवाब था साहब दिखवाते हैं.
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