राजस्थान में अब अकबर और महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के बीच चली लड़ाई पर भी पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. डोटासरा (Dotasra On BJP) ने अपने बयान में कहा कि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच भी सत्ता को लेकर लड़ाई चली.
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Jaipur: राजस्थान में अब अकबर और महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के बीच चली लड़ाई पर भी पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है. डोटासरा (Dotasra On BJP) ने अपने बयान में कहा कि अकबर और महाराणा प्रताप के बीच भी सत्ता को लेकर लड़ाई चली.
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इस बयान पर बीजेपी के प्रवक्ता रामलाल शर्मा (Ramlal Sharma On Dotasra) ने पलटवार करते हुए कहा कि अकबर की लड़ाई सत्ता के लिए हो सकती है, लेकिन महाराणा प्रताप की लड़ाई स्वाभिमान राष्ट्रवाद और मान सम्मान की थी. उन्होंने कहा कांग्रेस के नेता अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, जो इतिहास के पन्नों से ऐसा उदाहरण दे रहे हैं जिनका इतिहास के पन्नों में कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल मुसलमानों के वोट लेने के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है. केवल वोट बैंक (Vote Bank) के लिए अकबर को महान बताने का काम कांग्रेस (Congress) कर रही है, लेकिन देश का कोई भी युवा सम्राट नागरिक कांग्रेस के इस विचार से सहमत नहीं हो सकता.
महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के बयान के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani On Dotasra) ने भी अपने शब्द बाणों का रुख डोटासरा की तरफ कर दिया है. देवनानी ने कहा कि महाराणा प्रताप की लड़ाई मातृभूमि के गौरव और स्वाभिमान की लड़ाई थी. महाराणा प्रताप के संघर्ष पर डोटासरा का बयान मातृभूमि के गौरव की रक्षा हेतु अपना जीवन का बलिदान कर देने वाले शौर्य और पराक्रम के प्रतीक वीर का अपमान है.
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उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने लंदन में गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) में प्रताप के शौर्य की प्रशंसा की. वियतनाम ने भी अमेरिका आंदोलन के दौरान हल्दीघाटी युद्ध से प्रेरणा लेने की बात कही. देवनानी ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार (Gehlot Sarkar) के गठन के बाद लगातार महापुरूषों के वीरतापूर्ण गौरवशाली इतिहास को कमजोर करने की साजिश चल रही है.
मातृभूमि के गौरव और स्वाधीनता के लिये सम्पूर्ण जीवन युद्ध करके और कई कठिनाइयों का सामना करके भी महाराणा प्रताप ने मेवाड़ राज्य के स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया. ऐसे महावीर और बलिदानी के स्वाधीनता के संघर्ष को सत्ता का संघर्ष कहना कुंठित मानसिकता का परिचायक है.