जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमला: जयपुर में शवों को रखकर प्रदर्शन किया गया. मुरलीपुरा में लोगों ने शव की एम्बुलेंस को सड़क पर खड़ी कर प्रदर्शन किया.प्रतिनिधि मंडल और प्रशासन के बीच वार्ता भी हुई, लेकिन लम्बे समय बाद भी नतीता नहीं निकल पाया.
Trending Photos
Terrorist attack in Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में मारे गए जयपुर के चार लोगों के शव मंगलवार को जयपुर पहुंचे. शवों के जयपुर पहुंचने के बाद मुआवजे और अन्य मांगों को लेकर लोगों को गुस्सा फूट पड़ा. लोगों ने परिजनों के साथ मुरलीपुरा और चौमूं थाने के बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया.
मुरलीपुरा में लोगों ने शव की एम्बुलेंस को सड़क पर खड़ी कर प्रदर्शन किया.प्रतिनिधि मंडल और प्रशासन के बीच वार्ता भी हुई, लेकिन लम्बे समय बाद भी नतीता नहीं निकल पाया. इधर सवाल यह उठ रहा है कि आखिर परिजनों और लोगों को शव रखकर प्रदर्शन क्यों करना पड़ा? वहीं शव रखकर प्रदर्शन करने पर बने कानून की नेताओं और परिजनों ने धज्जियां उड़ाई.
जम्मू कश्मीर में वैष्णोदेवी के दर्शन कर शिवखोड़ी से लौट रही बस पर आतंकियों ने हमला किया. हमले में मरने वालों में जयपुर के भी चार लोग शामिल हैं. इनमें चरण नदी मुरलीपुरा निवासी पूजा और दो वर्षीय बेटे लव्यांश तथा चौमूं निवासी राजेंद्र और ममता की मौत हो गई. चारों मृतकों के शव मंगलवार सुबह जयपुर रेलवे जंक्शन पर पहुंचे. रेलवे जंक्शन से पूजा और लव्यांश के शव सरकारी एम्बुलेंस से रवाना किए गए, जबकि राजेंद्र और ममता के शव प्राइवेट वाहन में रखकर रवाना किए गए. इस बीच राजेंद्र और ममता के शव वाले वाहन को मुरलीपुरा थाने के बाहर सड़क पर ले जाकर खड़ा कर दिया गया.
इस दौरान वहां बड़ी संख्या में मौजूद परिजनों और स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस और भाजपा के नेता भी पहुंच गए. भाजपा के युवा नेता भूपेंद्र सैनी सहित पार्षद और अन्य नेता पहुंचे तथा जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष आर आर तिवाड़ी सहित अन्य नेता प्रदर्शनकारियों के साथ बैठे.
इस बीच वार्ता के दौरान मुआवजा और अन्य मांगों पर सहमति नहीं बनी, लेकिन मृतक राजेंद्र के बड़े भाई ने अपने भाई का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की बात कही. इसके बाद पुलिस ने आनन फानन में पूरी सुरक्षा के बीच सड़क पर खड़ी शवों की वैन को चौमूं के लिए रवाना कर दिया. इसके कुछ समय बाद परिजन और आक्रोशित लोग थाने से बाहर से उठकर हाईवे पर पहुंच गए, लेकिन पुलिस ने उनको वहां से हटा दिया. हालांकि वापस थाने के बाहर आकर उन्होंने फिर से प्रदर्शन शुरू कर दिया.
इधर यह बात भी गौर करने लायक है कि मृत शरीरों की गरीमा और सम्मान बनाए रखने के लिए राज्य में ''राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक 2023'' बना हुआ है. यह विधेयक 20 जुलाई 2023 को ही विधानसभा में पास किया गया है. इस एक्ट में साफ प्रावधान है कि शव रखकर धरना प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने चाहिए. इसमें 2 साल तक की सजा का प्रावधान है. इस विधेयक में यह भी प्रावधान किया है कि शव के साथ हो रहे धरना प्रदर्शन में अगर कोई नेता शामिल हुए तो उन्हें 5 साल की सजा होगी. विधेयक पेश करते वक्त तत्कालीन मंत्री शांति धारीवाल ने कहा था कि बिल को लाना जरूरी था.
आज हुए घटनाक्रम से सरकारी नीतियों प्रयासों के साथ ही जनता के धैर्य और दलगत राजनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं. आतंकी हमले में एक ही कुटुम्ब के चार जनों के मारे जाने से आक्रोश लाजिमी है, लेकिन इस तरह शवों को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करना भी कितना उचित माना जा सकता है. गर्मी के मौसम में इस तरह शवों को सड़क पर रखना उनकी बेकद्री नहीं है. अब सवाल ये भी उठ रहा है कि जिन लोगों के साथ बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने शव को रखकर प्रदर्शन में हिस्सा लिया क्या उनको जेल होगी या क्या उन पर जुर्मानe लगाया जाएगा या नहीं?
वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने इस तरह की लापरवाही क्यों बरती कि लोगाें को शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करने का मौका मिल गया. साथ ही परिजनों के साथ प्रशासन ने समझौते को लेकर गंभीरता से क्यों नहीं लिया ताकि लोगों की संख्या बढ़ती गई. पुलिस भी शवों के सड़क पर रखे रहने तक किसी भी कार्रवाई से बचती रही. शवों वाली वैन रवाना की गई तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियाें को हाईवे से भी हटा दिया.
अब सवाल यह उठ रहा है कि पुलिस ने पवन की पत्नी पूजा और बेटे लव्यांश के शव उनके घर पहुंचाए, वैसे ही राजेंद्र और ममता के शव भी चौमूं क्यों नहीं लेकर गई. वहीं यह भी सवाल उठा रहा है कि शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ पुलिस मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करेगी ? प्रदर्शन में पहुंचे कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी ? ताकि आगे नजीर बन सके .