वैश्विक क्षेत्र में भारत की छवि बदलने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों को एक साथ आना चाहिए- हिमांशु राय
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वैश्विक क्षेत्र में भारत की छवि बदलने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों को एक साथ आना चाहिए- हिमांशु राय

शनिवार को आईआईएम, इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय ने दिल्ली में एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड (Edufuture Excellence Awards 2022) में बात की. उन्होंने महामारी के बाद की दुनिया में ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा के तरीकों पर बात की. 

वैश्विक क्षेत्र में भारत की छवि बदलने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों को एक साथ आना चाहिए- हिमांशु राय

Jaipur/Delhi: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को दो हिस्सों में बांट कर रख दिया है. कोरोना के बाद से सब बदल गया है. ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन कमाई के कॉन्सेप्ट ने दुनिया में काम के तौर तरीके भी बदल दिए हैं. शिक्षा जगत ही बात करें तो यहां भी कोरोना महामारी के बाद काफी बदलाव आया है. इसी बदलाव के सिलसिले में शनिवार को आईआईएम, इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय ने दिल्ली में एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड (Edufuture Excellence Awards 2022) में बात की. उन्होंने महामारी के बाद की दुनिया में ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा के तरीकों पर बात की. 

राय जोर देते हुए कहा कि तरीके अब और बदलने वाले नहीं हैं बल्कि लंबे वक्त तक बने रहेंगे. ऐसे में जरूरत है कि इन दोनों के बीच सही संतुलन स्थापित किया जाए. राय ने इस दौरान आईआईएम और आईआईटी के परस्पर सहयोग पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘वैश्विक क्षेत्र में भारत की छवि बदलने के लिए दोनों विश्वविद्यालयों को एक साथ आना चाहिए.’

एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड (Edufuture Excellence Awards 2022) आपको बता दें कि एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड, ऐसे चेंजमेकर यानी बदलाव लानी वाली शख्सियतों को सम्मानित करता है, जो कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अहम बदलाव लाते हैं और उन्हें प्रेरित भी करते हैं. अवॉर्ड का मुख्य उद्देश्य शिक्षा क्षेत्र की उन शख्सियतों, संस्थानों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना करना है, जिन्होंने शिक्षा जगत में कठोर परिश्रम के बूते अदभुत प्रदर्शन किया है.

हिमांशु राय इससे पहले आईआईएम लखनऊ में प्रोफेसर थे. जहां उन्होंने 2006 से 2014 तक और 2016 तक एक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी. इससे पहले वह 2014 से 2016 के बीच इटली में भी शिक्षक के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं. कैट 2010 के संयोजक के रूप में, उन्होंने परीक्षा के सभी वैश्विक मानकों को पार करते हुए दुनिया के परीक्षा इतिहास में सबसे बड़े प्रारूप परिवर्तन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया.

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