रीट लेवल-1 में बीएड और बीएसटीसी अभ्यर्थियों (BSTC Candidates) के बीच में जो विवाद चला आ रहा है, वो अब लगातार ही बढ़ता जा रहा है.
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Jaipur: रीट अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET Teacher Eligibility Test) लेवल-1 से बीएड धारियों को बाहर करने की मांग को लेकर पिछले 7 दिनों से जयपुर (Jaipur) से शहीद स्मारक पर बीएसटीसी अभ्यर्थियों का धरना लगातार जारी है तो वहीं मांग को लेकर पिछले 5 दिनों से चार अभ्यर्थियों का क्रमिक अनशन भी धरना स्थल पर किया जा रहा है.
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रीट लेवल-1 में बीएड और बीएसटीसी अभ्यर्थियों (BSTC Candidates) के बीच में जो विवाद चला आ रहा है, वो अब लगातार ही बढ़ता जा रहा है. 26 अक्टूबर को हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होने वाली है लेकिन सुनवाई से पहले ही बीएसटीसी अभ्यर्थी लेवल-1 से बीएड धारियों को बाहर करने की मांग को तेज करने लगे हैं तो वहीं एनसीईटी की ओर से 14 अक्टूबर को जारी गजट नोटिफिकेशन ने कहीं ना कहीं बीएड और बीएसटीसी दोनों ही अभ्यर्थियों की चिंता बढ़ा दी है.
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रीट लेवल-1 से बीएड धारियों को बाहर करने की मांग को लेकर धरना
क्या कहना है बेरोजगार नेता महेन्द्र शर्मा का
धरने पर बैठे बेरोजगार नेता महेन्द्र शर्मा का कहना है कि "पिछले 7 दिनों से प्रदेशभर से बीएसटीसी अभ्यर्थी एक ही मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं लेकिन अभी तक भी सरकार के किसी प्रतिनिधि ने वार्ता नहीं की है,,ऐसे में जब तक बीएसटीसी अभ्यर्थियों को लिखित में आश्वासन नहीं मिलता है तब तक आंदोलन जारी रहेगा."
एनसीईटी के नियमों का दिया गया हवाला
धरने पर बैठे मुकेश रॉयल एनसीईटी के नियमों का हवाला बताते हैं कि "एनसीईटी की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, बिहार, दिल्ली सहित कई राज्यों में इस अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. साथ ही कई राज्यों में भर्ती के समय निकाली गई विज्ञप्ति में लेवल-1 में बीएड धारियों को बाहर किया गया. लेवल-1 में बीएसटीसी अभ्यर्थियों का हक रहा है. ऐसे में सरकार प्रदेश के लाखों बेरोजगारों के हक को 26 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में मजबूती के साथ पक्ष रखा जाए."
धरने पर पिछले 7 दिनों से बैठे बीएसटीसी अभ्यर्थी सचिन शर्मा का कहना है कि "शुरूआत से ही कक्षा 1 से 5वीं तक बीएसटीसी अभ्यर्थियों को लेवल-1 में रखा गया है. ऐसे में अब लेवल-1 में बीएड धारियों को शामिल किया जाता है तो करीब 80 से 90 फीसदी बीएसटीसी अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में सरकार की ओर से हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी की जाए."