Chomu News: जयपुर जिले के सामोद कस्बे के पास वीर हनुमान जी के मंदिर का रोप-वे कंपनी ने शुरू किया था, लेकिन यह रोप-वे कुछ दिन बाद ही बंद हो गया, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है.
Trending Photos
Chomu: जयपुर जिले के सामोद कस्बे के पास वीर हनुमान जी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं. मंदिर में पहुंचने के लिए एक हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने पड़ती हैं, इसके लिए एक रोप-वे कंपनी ने रोप-वे का संचालन शुरू किया. लेकिन यह रोप-वे कुछ दिन बाद ही बंद हो गया.
यह भी पढ़ें - एक दिसंबर को नागौर और सीकर के बुजुर्गो की तीर्थ यात्रा ट्रेन होगी रवाना, टिकट और खाना फ्री
सामोद कस्बे के पास अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित वीर हनुमान जी का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ. दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए एक हजार से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर हनुमान जी की विशाल मूर्ति के दर्शन करते हैं. यहां पूर्णिमा के दिन बड़े मेले का आयोजन होता है. राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के लोग भी वीर हनुमान जी का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन बुजुर्ग और बच्चों को सीढ़ियां चढ़ने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
यह भी पढ़ें - सचिन पायलट के चेहरे पर 2018 में कांग्रेस ने मांगे थे वोट, पायलट को ही साइड कर दिया - राकेश मीणा
सांस फूल जाती है. कुछ लोग तो सीढ़ियों के नीचे बैठकर हाथ जोड़कर ही वापस चले जाते हैं. ऊंचे पहाड़ पर यह प्राचीन वीर हनुमान का मंदिर स्थित है. लोगों को आसानी से दर्शन कराने के लिए एक रोप-वे का संचालन करने वाली कंपनी ने मंदिर ट्रस्ट के साथ जुड़कर रोप वे का संचालन शुरू किया, लेकिन कुछ दिन बाद रोप वे का संचालन बंद हो गया.
रोप-वे पर तत्कालीन जयपुर कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुरक्षा कारणों को लेकर रोक लगा दी थी. शुरू होने के 34 दिन बाद रोप-वे का संचालन बंद हो गया था तब से लेकर आज तक बंद ही पड़ा है. करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से एक निजी कंपनी ने रोप-वे का निर्माण करवाकर संचालन शुरू किया था, लेकिन पिछले 2 साल से रोप-वे बंद पड़ा है. इसके चलते श्रद्धालुओं को 1,050 सीढ़ियां चढ़कर ही बालाजी के दर्शन करने पड़ रहे हैं. 24 मई 2019 को सामोद के वीर हनुमान मंदिर जाने के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला पर रोप-वे का संचालन शुरू हुआ था. इस रोप-वे का निर्माण कार्य 17 जुलाई 2016 में शुरू हुआ था. मंदिर तक जाने के लिए कुल 1,050 सीढ़ियां बनी हुई हैं.
सीढ़ियों के जरिए मंदिर पहुंचने के लिए 40 से 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन रोप-वे के संचालन के बाद महज 5 से 7 मिनट का वक्त ही मंदिर पहुंचने में लग रहा था. रोप-वे के संचालन के समय 6 ट्रॉलियों का उपयोग शुरू किया गया था. प्रत्येक ट्रॉली में सात से आठ व्यक्ति बैठने की क्षमता है, लेकिन 28 जून 2019 को तत्कालीन कलेक्टर जगरूप यादव ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की तकनीकी एनओसी के अभाव में और रज्जू अधिनियम 1996 की धारा 7 का उल्लंघन मानकर इस रोप-वे को बंद करने के आदेश दिए थे तब से लेकर आज तक यह रोप-वे बंद पड़ा है.
हालांकि यहां आने वाले श्रद्धालु चाहते हैं कि इस रोप-वे का संचालन जल्द ही शुरू किया जाए. उम्मीद भी जताई जा रही है कि जल्द ही रोप-वे का संचलन शुरू होगा. जिला प्रसाशन ने 26 मानकों के निर्णय के आधार पर रोप-वे के संचालन को अनुमति देने का मन भी बना लिया था, लेकिन फिर से वह ठंडे बस्ते में चला गया.