Rajasthan Congress Crisis: महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकारी छुट्टी घोषित की है तो सचिन पायलट अनशन पर बैठकर मास्टर कार्ड खेला हैं. फुले की जयंती पर पायलट का बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.
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Rajasthan Congress Crisis, Jaipur News: कल महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती है और इस दिन का महत्व प्रदेश की राजनीति में खासा दिख रहा है. जहां एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ज्योतिबा फुले जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित की है तो पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता सचिन पायलट प्रदेश से भ्रष्टाचार की छुट्टी के लिए अनशन पर बैठ रहे हैं. पायलट ने ज्योतिबा फुले जयंती पर एक दिन के अनशन का ऐलान किया है. उन्होंने इस अनशन के जरिए अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने की तैयारी की है.
पायलट कहते हैं कि 2013 से 2018 के विधानसभा चुनाव तक विपक्ष में रहते हुए उन्होंने और पार्टी के अपने साथी तत्कालीन पूर्व मुख्मन्त्री अशोक गहलोत ने मिलकर तत्कालीन वसुंधरा राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए उनकी जांच कराई जानी चाहिए.
अब इसे चुनावी साल में सरकार और पार्टी पर पायलट की तरफ से दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जाए या फिर आर पार की लड़ाई का ऐलान, लेकिन सचिन पायलट ने मोर्चा तो अबकी बार खोल ही दिया है. सवाल यह है कि इस अनशन के जरिए पायलट और गहलोत के बीच खिंची दीवार और ऊंची होगी या फिर अबकी बार गिरा दी जाएगी?
कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपनी ही सरकार से मांग करते हुए अनशन पर बैठने वाले हैं. मंगलवार को महान समाज सुधारक के रूप में याद किए जाने वाले महात्मा ज्योतिराव फुले की जयंती है. ऐसे में महात्मा की जयंती पर सचिन पायलट भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अनशन पर बैठने वाले हैं. सुबह 11 बजे से सचिन पायलट का अनशन शुरू होगा. उनका कहना है कि इस अनशन के जरिए वह सरकार से सिर्फ एक ही मांग कर रहे हैं और वह है विपक्ष में रहते हुए तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार पर लगाये गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच.
पायलट की मांग को सरकार के मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का समर्थन भी मिला है. खाचरियावास कहते हैं कि जब तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए, तब वे भी पायलट के साथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के रूप में थे. उन्होंने कहा कि सचिन पायलट की मांग ना तो गलत है और ना ही अतार्किक.
भले ही मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास पायलट की तरफ से उठाए गए मुद्दे की पैरवी कर रहे हों, लेकिन सरकार के ही राजस्व मंत्री रामलाल जाट कहते हैं कि अभी चुनाव का समय है और पार्टी के भीतर सभी को एकजुटता रखनी चाहिए. हालांकि रामलाल जाट ने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बात तो कही, लेकिन साथ ही सचिन पायलट और हेमाराम चौधरी पर बिना नाम लिए निशाना भी साध दिया.
पायलट का नाम लिए बिना उन्होंने साफ़ कह दिया कि पार्टी में जो भी मुख्यमंत्री के दावेदार हैं उन्हें सोचना चाहिए कि वे कर क्या रहे हैं? जाट बोले कि जब आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना रखा है और वह पानी रोकने के लिए एक हाथ दीवार बनाते हैं, तो दूसरा कोई आदमी गलत स्टेटमेंट दे कर दो हाथ दीवार गिरा देता है. रामलाल जाट ने कहा कि इसका मतलब क्या समझा जाए? राजस्व मंत्री बोले कि कांग्रेस के आम कार्यकर्ता की सोचने की बात है कि ऐसे लोगों का साथ नहीं दें.
उधर दिल्ली दरबार में भी पायलट के इस कदम की चर्चा जोरों पर है. पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष इस मुद्दे पर पार्टी नेताओं से बात करेंगे. खेड़ा ने कहा कि कई बातों की जांच हो रही है. जांच संजीवनी की भी हो रही है साथ ही इस बात की भी हो रही है कि चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए किन लोगों ने षड़यन्त्र किया और उनके तार कहां तक जुड़े हुए हैं? उधर सलमान खुर्शीद समेत दूसरे कई नेता इस मसले पर घर में बैठकर बात करने की सलाह देते हुए दिखे.
पायलट ने तो अनशन का ऐलान कर दिया है, लेकिन इस बीच कांग्रेस पार्टी के साथ ही राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह कि क्या गांधीवादी मुख्यमन्त्री को घेरने के लिए पायलट अनशन का गांधीवादी हथियार ही लेकर आए हैं?
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सवाल यह कि क्या वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग करते हुए पायलट ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है? सवाल यह भी कि क्या चुनावी साल में पायलट इसके जरिये कांग्रेस पर दबाव बना सकेंगे? और सबसे बड़ा सवाल जो कांग्रेस के ही लोग पूछ रहे हैं कि क्या कांग्रेस में रहते हुए यह सचिन पायलट का आखिरी आन्दोलन होगा?
बताया जा रहा है कि रविवार से अब तक दिल्ली में इस मामले में बहुत कुछ पका है. अब यह पका है या अधपका, इस पर दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन चर्चा यह है कि पार्टी इस बार कोई सख्त फैसला लेगी. अब यह सख्ती किस पर होगी, इसके बारे में सिर्फ समय ही जानता है.