मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके कहा है कि यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है. ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लेना चाहिए.
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Jaipur: यूक्रेन संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान सामने आया है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके कहा है कि यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है. ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लेना चाहिए.
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भारत के हजारों बच्चे पढ़ाई के लिए विदेशों में जाते हैं. इनमें से अधिकांश बच्चे मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन, नेपाल, यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि देशों में जाते हैं क्योंकि यहां खर्च कम होता है परन्तु जब ये वहां से पढ़कर आते हैं तो इन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (FMGE) देना पड़ता है.
वहां के भाषाई एवं पाठ्यक्रम संबंधी बदलावों के कारण अधिकांश बच्चे (80% से भी अधिक) इस टेस्ट को पास नहीं कर पाते हैं एवं मेडिकल प्रेक्टिस से भी वंचित होते हैं. ऐसे में ये देश के ह्यूमन रिसोर्स की वैल्यू कम करता है एवं इन सभी को आर्थिक नुकसान भी होता है.
और क्या बोले सीएम गहलोत
CM ने लिखा है कि यूक्रेन संकट ने हम सभी को विचार करने का एक मौका दिया है? कि क्यों ना केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश में मेडिकल कॉलेजों एवं मेडिकल सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करें. यूपीए सरकार ने Establishment of new medical colleges attached with existing district referral hospitals स्कीम के तहत हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की स्कीम शुरू की थी, जो वर्तमान केंद्र सरकार के दौर में भी चल रही है.
अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए
यूपीए सरकार के समय केंद्र एवं राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में थी, जिसमें अब राज्यों का अंश बढ़ाकर 60:40 कर दिया गया है लेकिन सभी राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर सोचना होगा कि क्या इतनी संख्या बढ़ाने के बाद भी ये मेडिकल सीटें पर्याप्त हैं? अभी हम एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज को ही पर्याप्त मान रहे हैं? परन्तु हम इससे संतुष्ट नहीं रह सकते हैं. मेरा केंद्र सरकार को सुझाव है? कि MCI के नियमों में बदलाव किया जाए एवं सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों को अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए.
प्रति 1000 व्यक्ति पर 4 डॉक्टर्स होने चाहिए
मुख्यमंत्री ने कहा है कि भारत में अभी प्रति 1000 व्यक्ति पर औसतन 1 डॉक्टर है. इनमें से भी अधिकांश शहरों में स्थित हैं. वैश्विक संस्थाओं के मानकों के मुताबिक, प्रति 1000 व्यक्ति पर 4 डॉक्टर्स होने चाहिए. देश की जनसंख्या बढ़ने एवं भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण बन रही अन्य महामारियों की आशंका को देखते हुए भी हमें इस संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके लिए देशभर में मेडिकल कॉलेजों का जाल बिछाने की आवश्यकता है. डॉ. देवी शेट्टी समेत कई एक्सपर्ट्स ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर सभी राज्यों के साथ एक व्यापक चर्चा करनी चाहिए जिससे हमारे बच्चों को भी पढ़ने के लिए दूसरे देशों में ना जाना पड़े. इससे हमारे देश का पैसा भी बचेगा एवं देश में मेडिकल व्यवस्थाएं भी सुधर सकेंगी.