अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख के लोगों में खुशी की लहर देखने को मिलती है. फिजा में सुकून का अहसास देने वाली ठंडक दिल तक पहुंच रही है.
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Jaipur: अनुच्छेद 370 (Article 370) की बेड़ियों से आजादी के दो सालों में लद्दाख की फिजा से भेदभाव का संक्रमण लुप्त हो गया. केंद्र का साथ मिला और 75 सालों से नजरअंदाज होती आई उम्मीदों को पूरा करने की झड़ी लग गई.
पांच अगस्त 2019 से पहले लद्दाख (Ladakh) के विकास की योजनाएं (Development plans) कश्मीर में कागजों तक ही सिमट जाती थी. अब केंद्र के हाथ लद्दाख की कमान आने के बाद परिदृश्य बदल रहा है. यहां के लोग अब खुली हवा में जी रहे हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं कि हम भी अब स्वतंत्र हैं.
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख के लोगों में खुशी की लहर देखने को मिलती है. फिजा में सुकून का अहसास देने वाली ठंडक दिल तक पहुंच रही है. तरक्की की उम्मीदें हिलोरें मारने लगी हैं. भगवान बुद्ध का शांति का संदेश लिए जीवंतता से परिपूर्ण लोग, प्राकृतिक खूबसूरती, गहरी झीलों, विशाल पर्वतों और प्राचीन काल से सभ्यताओं का पोषण करती सिंधू नदी की धरती "लद्दाख" में अब लोगो के चेहरे पर खुशी है. लेह में शांति का संदेश देता शांति स्तूप को निहारने और वहां से खूबसूरत दृश्य को अपने कैमरे में कैद करते सैकड़ों की संख्या में पर्यटकों का अब जमावड़ा रहने लगा है.
शांति स्तूप जिसका निर्माण शांति संप्रदाय के जापानी बौद्धों ने कराया था. शांति स्तूप दो शब्द से मिलकर बना है, एक शांति और दूसरा स्तूप. स्तूप का शाब्दिक अर्थ खम्बा होता है, जो बुद्ध की कहानियों का प्रतिनिधित्व करता है. इस स्तूप का निर्माण भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को आम जन तक आसानी से पहुंचाने और विश्व में शांति बनाए रखने के लिए किया गया था, जो कि सच में एक शांति का प्रतीक है.
क्या कहना है शांति स्तूप के पुजारी का
शांति स्तूप के पुजारी बताते है कि धारा 370 और 35 A हटने के बाद हम बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं. दो सालों में लद्दाख में बहुत बदलाव आया है हम चैन की नींद सोते हैं. साथ में अब पर्यटन के साथ रोजगार के अवसर भी खुलने लगे हैं. यह अनमोल उपहार (लद्दाख) दो साल पहले जम्मू कश्मीर राज्य का हिस्सा था लेकिन दो साल पहले 5 अगस्त को भारतीय संसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था. तब से जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. उन्होंने बताया कि शांति स्तूप में अब पर्यटकों से गुलजार रहता है. यह एक सफेद गुंबद वाला स्तूप है. इसमें प्रवेश करने के लिए कई सीढ़ियां बनाई गई हैं.
पवित्र बुद्ध अवशेषों से भरा पड़ा शांति स्तूप
जैसे-जैसे आप इन सीढ़ियों पर अपना एक कदम बढ़ाते जाएंगे. वैसे-वैसे आपको हर एक सीढ़ी पर चढ़ने के बाद एक नया नजारा देखने को मिलेगा. शांति स्तूप की समुद्र तल से ऊंचाई 3909 मीटर (11,840 फीट) है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा शांति स्तूप है. यह शांति स्तूप पवित्र बुद्ध अवशेषों से भरा पड़ा है. यह स्तूप लद्दाख जाने वाले 90 फीसदी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसका पहला कारण यह है कि इस स्तूप की खूबसूरती, इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता, इसके आस पास के शांत प्राकृतिक वातावरण और इसके ऊपर चढ़ने से पूरे लेह शहर का सुंदर नजारा यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
बहरहाल, शांति स्तूप के अलावा लद्दाख ही नहीं बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर में एक भी शांति स्तूप नहीं है. और इस स्तूप को बौद्ध धर्म की दृष्टि से बहुत मान्यता है, जिसकी वजह से इस स्तूप में पर्यटकों को जाना बेहद पसंद होता है.