गहलोत सरकार दे रही रोजगार,लेकिन लेने नहीं आ रहे लोग,क्यों फिका पड़ रहा पायलट प्रोजेक्ट
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गहलोत सरकार दे रही रोजगार,लेकिन लेने नहीं आ रहे लोग,क्यों फिका पड़ रहा पायलट प्रोजेक्ट

Jaipur News : गहलोत सरकार रोजगार दे रही है, लेकिन लोग रोजगार लेने आगे नहीं आ रहे हैं. दरअसल 800 करोड़ की इंदिरा शहरी रोजगार गारंटी योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है.

गहलोत सरकार दे रही रोजगार,लेकिन लेने नहीं आ रहे लोग,क्यों फिका पड़ रहा पायलट प्रोजेक्ट

Jaipur News : राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना इंदिरा शहरी रोजगार गारंटी योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है. कारण जो भी हो, लेकिन जिस जोरशोर से इस योजना की शुरूआत की गई थी, क्रियान्वति उतनी ही धीमी है. हालात यह है कि ढाई महीने में प्रदेश के 3.82 लाख जॉब कार्ड बनें, लेकिन रोजगार लेने के लिए महज 90 हजार लोग ही पहुंचे हैं. इसकी एक बड़ी वजह मिनिमम वेज सामान्य दिहाड़ी मजदूरी से भी कम होना है. हालांकि अफसर उम्मीद जता रहे हैं कि योजना को रेस्पॉन्स जरूर मिलेगा.  

राज्य सरकार ने हर हाथ रोजगार की संकल्पना को साकार करने के लिए देश की पहली सबसे बड़ी इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना राजस्थान में शुरू की है. करीब  800 करोड़ रुपए के बजट से संचालित इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में अब तक शहरी क्षेत्र के 3.82 लाख से अधिक परिवारों ने पंजीकरण करवाया है. इनमें से लगभग 90 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. योजना के तहत प्रदेशभर में 6 हजार 995 स्वीकृत कार्यों में से 2 हजार 175 काम चल रहे हैं. जिसमें स्वच्छता संबंधी कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही पर्यावरण जल संरक्षण कार्य, ठोस कचरा प्रबंधन कार्य, अतिक्रमण अवैध बोर्ड - होर्डिंग्स हटाने का कार्य, हैरिटेज संरक्षण जैसे कार्य किए जा रहे हैं. योजना में लाभार्थी परिवार को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है. आंकड़ों से स्पष्ट है कि योजना के तहत पंजीकृत परिवारों की तुलना में काम करने वाले एक चौथाई लोग ही इस योजना का लाभ ले रहे हैं.

स्थानीय निकाय विभाग को उम्मीद
इधर स्थानीय निकाय विभाग इस आंकड़े से भी संतुष्ट है. स्वायत्त निकाय सचिव डॉ जोगाराम ने बताया कि प्रदेश में 90 हजार श्रमिकों का नियोजन विभिन्न नगरीय निकायों में किया गया है. हर व्यक्ति के पास चॉइस है कि वो ई-मित्र के माध्यम से नगरीय निकाय में बनी हेल्पडेस्क पर या खुद भी अप्लाई कर सकते हैं. जन आधार के माध्यम से जॉब कार्ड बनवा सकते हैं. और जो काम सैंक्शन किए गए हैं, उसमें अपना नियोजन करवा सकते हैं. जोगाराम ने कहा कि पर्याप्त संख्या में लेबर आ रही है. 3.82 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड बने हैं. ऐसे में ये एक संतोषप्रद आंकड़ा है.  

डिमांड तो रोजगार, वरना कहीं करे काम

जोगाराम ने कहा कि ये योजना डिमांड आधारित है. जो मांग करता है, उसको 100 प्रतिशत रोजगार देने की गारंटी सरकार ने दी है. इसमें मिनिमम वेजेज 259 रूपए निर्धारित है. इसमें स्पष्ट चॉइस है यदि मार्केट या प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा वेजेज मिल रहा है, तो वहां भी जा सकते हैं. लेकिन जिसको कहीं रोजगार नहीं मिलता वो सरकार की योजना से जुड़ सकते हैं.

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