राज्यपाल कलराज मिश्र ने दक्षिण राजस्थान में जल संग्रहण के लिए प्रभावी मास्टर प्लान बनाने पर जोर दिया है.
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Jaipur: राज्यपाल कलराज मिश्र ने दक्षिण राजस्थान में जल संग्रहण के लिए प्रभावी मास्टर प्लान बनाने पर जोर दिया है. उन्होंने जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के अन्तर्गत राजस्थान को 50:50 के स्थान पर 90:10 के अनुपात में सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
राज्यपाल मिश्र (Governor Kalraj Mishra) राष्ट्रपति भवन में 51वें राज्यपाल सम्मेलन में सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित विभिन्न राज्यों के राज्यपालों एवं उप राज्यपालों के समक्ष राजस्थान के विकास से जुड़े मुद्दों की चर्चा करते हुए विस्तारपूर्वक बात रखी.
राज्यपाल ने कहा कि दक्षिण राजस्थान क्षेत्र में जल संग्रहण की प्रभावी योजना बनाई जाए ताकि आदिवासियों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कर उनके पलायन को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि दक्षिण राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर एवं प्रतापगढ़ जिलों की लगभग 17 लाख हैक्टेयर भूमि माही बेसिन के अन्तर्गत आती है. इस क्षेत्र में मास्टर प्लान के अभाव में बड़ी मात्रा में वर्षा जल बहकर व्यर्थ चला जाता है, जिसे रोकना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सीमित जल संसाधनों को देखते हुए राजस्थान को जल जीवन मिशन में 90:10 के अनुपात में सहायता उपलब्ध कराई जाए, जो अभी 50:50 के अनुपात में मिल रही है.
राज्यपाल ने जनजाति क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की खेल एवं प्रशिक्षण सुविधाएं मुहैया कराने पर बल देते हुए कहा कि इससे देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मिलने के साथ ही आदिवासी क्षेत्र में रोजगार की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु दी जाने वाली उत्तर मैट्रिक छात्रवृति का अंश समय पर राज्य को जारी किए जाने की आवश्यकता भी बताई.
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राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राजस्थान में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों की सीमा में वृद्धि की जाए, जो वर्तमान में 2011 की जनगणना के आधार पर स्वीकृत है. उन्होंने कहा कि बाजरे से मिलने वाले पोषण को लेकर देश में जागरुकता बढ़ी है और राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है, ऐसे में विभिन्न राज्यों में आईसीडीएस एवं एमडीएम के लिए राज्य के बाजरे का उपयोग करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार की जानी चाहिए. उन्होंने राज्य की महत्वपूर्ण लंबित रेल परियोजनाओं को शीघ्र प्रारंभ कर पूर्ण कराये जाने की बात भी कही.
राज्यपाल ने कहा कि अब तक चार विश्वविद्यालयों द्वारा नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है तथा शेष में प्रक्रियाधीन है. विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति लागू करने के लिये गठित टास्क फोर्स की अब तक 12 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में कोविड- 19 के दौरान भी नियमित रूप से ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह आयोजित कराये गये हैं. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी सोशल रेस्पारिबलिटी के तहत प्रत्येक राज्य विश्वविद्यालय द्वारा एक पिछड़ा गांव गोद लेकर उसे स्मार्ट गांव बनाने की पहल से वहां के ग्रामीणों की आय एवं आजीविका में वृद्धि हुई है और उनके जीवन स्तर में सुधार आया है.
राज्यपाल ने कहा कि संविधान के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए देश के इतिहास में पहली बार 10 फरवरी, 2021 को राजस्थान विधानसभा में संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन करने की पहल उनके द्वारा की गई. विश्वविद्यालयों में संविधान पार्कों के निर्माण की पहल के अंतर्गत 2 विश्वविद्यालयों में पार्क निर्माण का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा शेष में कार्य प्रगतिरत है. राजभवन परिसर में भी विश्वविद्यालय पार्क का निर्माण करवाया जा रहा है. इसके तहत प्रत्येक विश्वविद्यालय द्वारा अपने किसी एक उत्कृष्ट कार्य का प्रदर्शन किया जायेगा.
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन के दौरान राज्यपाल राहत कोष के प्रभावी पुनर्गठन, स्काउट व गाइड संगठन के सुदृढीकरण, सैनिक कल्याण बोर्ड, आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत गतिविधियों एवं रेड क्रॉस की इकाइयों को सक्रिय करने के बारे में भी जानकारी दी.